शुक्रवार, 1 जनवरी 2016

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सन्दली सवेर
छाया: कमला निखुर्पा
डॉ. हरदीप सन्धु
आधे चाँद तथा तारों की चूनर वाली स्याह काली रात कब की बीत चुकी थी। संदली सुबह की आनन्दमयी महक आँगन को महका रही थी। सिंदूरी सवेर की गुलाबी हवा में हौले-हौले से वृक्षों के पत्ते हिल रहे थे। मैने दो-चार लम्बी साँसें लीं तथा ताज़ी हवा के संग रंगीन कुदरत को भी अपनी साँसों द्वारा अपनी रूह में मिलाने की कोशिश की। शायद मुझे थोड़ी कामयाबी भी मिली।

अब मेरी रूह खिल गई थी। मुझे लगा जैसे पूरा आलम ही ख़ुशी तथा नई तरंगों से झूम रहा हो। आज नए वर्ष वाले दिन वृक्षों की टहनियों में से होकर आती ठंडी हवा भी कुदरत को नए वर्ष की मुबारकबाद दे रही लगती है। ज़मीन पर बिछी घास धरा को प्यार तथा ममतामय चुंबन देकर 'नया साल मुबारक' ही तो कह रही है। बगीची में खिले फूल भी हवा के झोंके के संग नाचते प्रतीत हो रहे हैं।

मुझे पता ही न चला कब मेरे कदम मुझे नदी के किनारे ले आए. नर्म-नर्म तरल भीगी घास पर धीरे-धीरे चलते मुझे ऐसा लगा जैसे यह तरल बूँदें भी चढ़ते सूर्य की लाली वाली चमकती धूप से दीप्त नए वर्ष का स्वागत कर रही हों। चलती मन्द-मन्द समीर ने ज़िंदगी को और तरोताज़ा और नवल रूप दे दिया था। भौरों की मस्ती भरा संगीत हवा की शाँय-शाँय में घुलकर मोह का अहसास करवा रहा था। कहते हैं कि मोह ऐसी दौलत है जिस को जितना खर्चो उतनी बढ़ती है। यह कोई महज़ब भी तो नहीं है, मगर ऐसी दरगाह है जहाँ हर शीश झुकता है।

पत्तों में से छनकर आती सूर्य की लो मुझे ज़िंदगी में तरक्की की बुलंदियों को छूने के लिए संघर्ष करने का संकल्प लेने का संदेश देती प्रतीत हो रही थीं।
रंगीला पानी-
पत्तों में से छनती
सूरज की लौ।
-0-

23 टिप्‍पणियां:

Amit Agarwal ने कहा…

बहुत सुन्दर हाइबन!
It's almost a word painting..
हार्दिक शुभकामनाएँ डॉ. संधु

ऋता शेखर 'मधु' ने कहा…

बहुत ही रोचक मनमोहक हाइबन...नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं!!

ऋता शेखर 'मधु' ने कहा…

बहुत ही रोचक मनमोहक हाइबन...नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं!!

sushila ने कहा…

अति सुदर हाइबन! निर्झर सी बहती शब्दावलि। बधाई हरदीप जी को

sushila ने कहा…
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sushila ने कहा…
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sushila ने कहा…

अति सुदर हाइबन! निर्झर सी बहती शब्दावलि। बधाई हरदीप जी को

Unknown ने कहा…

नई सबेर ,नये साल की शुभकामना लिये लिखा कुदरत की सुन्दरता का चित्र खींचता हाइबन बहुत बहुत सुन्दर लगा ।हरदीप जी शुभकानायें सारे त्रिवेनी परिवार को ।विश्व को मोह के बंधन में बान्धे रखे यह नया साल मंगलमय हो सब के लिये ।बधाई।

Pushpa mehra ने कहा…

प्रकृति के उपादानों से संदेश लेता, रूह में समाता रेखचित्र सभी को मोहबंध में बाँध रहा है बहन संधु जी नये साल की बहुत-बहुत बधाई |

पुष्पा मेहरा

सविता अग्रवाल 'सवि' ने कहा…

डॉ हरदीप जी स्याह काली रात के बाद संदली सुबह का आगमन ठंडी ठंडी हवाओं संग उस सुबह का आनंद उठाना ,पूरा चित्रण बहुत सजीव कर हाइबन द्वारा पाठकों के समक्ष रख दिया है , नव वर्ष की हार्दिक बधाई .

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

जैसे आँखों के आगे एक फिल्म सी चल गई हो, बहुत सुन्दर हाइबन...| हार्दिक बधाई...नए साल की शुभकामनाओं सहित...|

Unknown ने कहा…

The best article

Unknown ने कहा…

We like so much

Sudershan Ratnakar ने कहा…

प्राकृतिक छटा बिखेरता बहुत सुंदर हाइबन हरदीपजी। बधाई

Dr.Bhawna Kunwar ने कहा…

Bahut khub bahut bahut badhai

ज्योति-कलश ने कहा…

प्रकृति के ख़ूबसूरत एहसास से जुड़ा बहुत सुन्दर हाइबन ..हार्दिक बधाई हरदीप जी !

Dr.Purnima Rai ने कहा…

कुदरत का स्वप्निल एहसास काश मानव समसामयिक जीवन में भी कर पाता...बहुत खूब..dr hardeep ji

Dr.Purnima Rai ने कहा…

कुदरत का स्वप्निल एहसास काश मानव समसामयिक जीवन में भी कर पाता...बहुत खूब..dr hardeep ji

Jyotsana pradeep ने कहा…

अति सुदर !प्राकृतिक छटा बिखेरता बहुत मनमोहक हाइबन...हार्दिक बधाई हरदीप जी !

Vibha Rashmi ने कहा…

बहुत सुंदर सजीला हाइबन ।हार्दिक बधाई हरदीप जी आपको।

Vibha Rashmi ने कहा…

बहुत सुंदर सजीला हाइबन ।हार्दिक बधाई हरदीप जी आपको।

Vibha Rashmi ने कहा…
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Vibha Rashmi ने कहा…

बहुत सुंदर सजीला हाइबन ।हार्दिक बधाई हरदीप जी आपको।