1-कृष्णा वर्मा
1
ना आस कभी टूटे
टुकड़े हों दिल के
जब-जब अपने रूठें।
2
रिश्तों से प्रीत बही
सीना चाक हुआ
उफ दारुण पीर कही।
3
यादों की कील गड़ी
चटकी मन गगरी
आँखों की पीर बढ़ी ।
4
खुशियाँ मन को भाएँ
माने ना प्राणी
किसी विधि दुख दे जाए।
5
खुश हों ना वाह करें
बदले यार सभी
जीतें तो आह भरें।
6
मौसम -सा बदल गया
फसलों- सा मुझको
तूने बरबाद किया।
7
युग-युग से साथ चले
झूठ सदा हारा
सच को सौगात मिले।
8
छोड़ो बीती बातें
यारी के चरखे
अपनापा मिल कातें।
-0-
2-बेबस हम
-मंजूषा 'मन'
बेबस हम
कर न पाते कुछ
हाथ में न था
हमारे कुछ कभी
बेरंग ढंग
सपाट- सी ज़िन्दगी
लेकर जिये
रँगने चले जब
सब बिगाड़ा
बसा न सके कुछ
बसा उजड़ा
पर,
वो जो था एक
रँग सकता
सब सलीके संग-
उसने भी तो
बिगाड़ा ,उजाड़ा ही
सँवारा नहीं
बसाया भी कभी न
और हम तो
उसके विश्वास पे
तै करते हैं
ज़िन्दगी का सफर
ऐसे कर ली
हमने ये बसर
कट गई उमर।
-0-
11 टिप्पणियां:
सुन्दर रचनाएँ !
कृष्णा जी, मञ्जूषा जी शुभकामनाएं!
कृष्णा जी खूबसूरत भावों से ओत प्रोत माहिया रचे हैं बधाई हो .मंजूषा जी आपकी रचना पर भी आपको हार्दिक बधाई.
Good article
बहुत हृदयस्पर्शी चोका और माहिया हैं...| आप दोनों को बहुत बधाई...|
हृदयस्पर्शी रचनाएँ ! चोका और माहिया खूबसूरत हैं...| कृष्णा जी, मञ्जूषा जी शुभकामनाएं!
कृष्णा वर्मा जी सभी माहिया सुन्दर हैं ।मुझे यह वाला बहुत अच्छा लगा ... मौसम सा बदल गया/ फसलों सा मुझ को / तूने बरवाद किया ।बधाई ।मंजूषा जी आप का चोका बड़ा मार्मिक है। अच्छा लगा ।आप को भी बधाई।
यारी के चरखे
अपनापा मिल कातें
वाह ! बधाई कृष्णा जी। सभी माहिया बहुत सुंदर।
मंजूषा जी का चोका भी बहुत ही भावपूर्ण और सुंदर। बधाई !
यारी के चरखे
अपनापा मिल कातें
वाह ! बधाई कृष्णा जी। सभी माहिया बहुत सुंदर।
मंजूषा जी का चोका भी बहुत ही भावपूर्ण और सुंदर। बधाई !
दर्द छलकाते माहिया एवं चोका! और दर्द तो वैसे भी दिल के बेहद क़रीब होता है ! दिल को छू गए सभी !
हार्दिक बधाई आदरणीया कृष्णा दीदी एवं मंजूषा जी !
~सादर
अनिता ललित
bahut khub bahut bahut badhai
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