कृष्णा वर्मा
1
आसीन किनारों ने
मरुथल कर डाला
सागर के लारों ने।
2
जब सपने सुर्ख़ जगें
उड़ने को नभ में
पैरों में पंख लगें।
3
सरगम में ढल जाएँ
दुखड़े हर मन के
गीतों में गल जाएँ
4
बीती काली रातें
आ मिल बैठ करें
निज सुख –दुख की बातें।
5
किससे फरियाद करूँ
दिल की वीरानी
कैसे आबाद करूँ।
6
निज भूली ठाँव हवा
तपती दोपहरी
भटकी हर गाँव हवा।
7
जंगल
में फूल खिला
प्यासी
ममता को
आँसू उपहार मिला।
8
जीवन किसने बोया
दुख के घेरे में
मन रहता है खोया।
9
अद्भुत तहख़ाना है
जीवन
–वीणा पर
आलाप सजाना है।
10
सूरज का ताप बढ़ा
नदिया विधवा -सी
जब जल बन भाप उड़ा।
11
रसना में प्यार भरें
दुख पाताल धँसे
खुशियाँ
उजियार करें।
12
अद्भुत संतान- कड़ी
पलकें आँखों पर
होतीं ना बोझ कभी।
-0-
8 टिप्पणियां:
सभी माहिया सुंदर एवं भावपूर्ण! विशेषकर-
बीती काली रातें
आ मिल बैठ करें
निज सुख –दुख की बातें।
किससे फरियाद करूँ
दिल की वीरानी
कैसे आबाद करूँ।
--बहुत अच्छे लगे।
हार्दिक बधाई कृष्णा दीदी!
~सादर
अनिता ललित
बहुत भावपूर्ण माहिया कृष्णा जी , बधाई आपको |
शशि पाधा
बढिया
Badi gahan soch hai in mahiya men meri shubhkamnayen...
सभी माहिया गहरे भाव लिए हैं .कृष्णा जी बधाई .
आसीन किनारों ने
मरुथल कर डाला
सागर के लारों ने।
किससे फरियाद करूँ
दिल की वीरानी
कैसे आबाद करूँ।
बहुत भावपूर्ण माहिया कृष्णा जी , बधाई आपको |
सभी माहिया सुंदर भावों से भरे हैं कृष्णा जी बधाई |
पुष्पा मेहरा
बेहतरीन माहिया हैं सभी...हार्दिक बधाई...|
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