ज्योत्स्ना प्रदीप
1
उसकी पहचान नहीं
भेस बदलता है
राहें आसान नहीं ।
2
माँ ने क्यों सिखलाया-
चुप रहना सीखो,
पर रास नहीं आया ।
3
देखो आई यामा
आँसू कब ठहरे
किसने इनको थामा?
4
नाहक आँखें भरतीं
मिलती माधव से
कई मासों में धरती ।
5
कोई
होरी -राग नहीं
दिल में सीलन है
कोई भी आग नहीं ।
6
ऐसी भी बात नहीं
प्रेम समर्पण है
कोई खैरात नहीं ।
7
नाते वो पीहर के
जी लूँ कुछ दिन मै
खुशियाँ ये जी भरके ।
8
हा ! माँ भी वृद्धा है
अब भी
आँखों में
ममता है श्रद्धा है ।
9
बेटी को प्यार किया
माँ ने लो फिर से
घावों को
खूब सिया ।
10
नाता वो भाई का
अमवा से पूछो
ऋण
वो अमराई का।
11
भाभी की शैतानी
पल भर में छिटका
वो आँखों का पानी ।
12
बहना भी प्यारी है
ग़म
को कम करती
खुद गम की मारी है।
13
मन इतना भोला था
ढोए बोझ घने
उफ़ तक ना बोला था।
14
अब मन पर भार नहीं
मेरे
खाते में
अब दर्ज़ उधार नहीं
15
अहसास बड़ा प्यारा-
तेरा कोई है
बैरी फिर जग सारा ।
-0-
15 टिप्पणियां:
वाह ज्योत्स्ना जी एक से बढ़कर एक माहिया।
अहसास बड़ा प्यारा-
तेरा कोई है
बैरी फिर जग सारा ।
बढिया पेशकश
बहुत-बहुत ही सुंदर सभी माहिया ! दिल के हर कोने को छू गए, बस गए।
इस मोहक प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई ज्योत्स्ना जी !!!
~सादर
अनिता ललित
सभी माहिया उत्कृष्ट हैं .
बहुत खूब माहिया रचे हैं ज्योत्स्ना जी बधाई हो । बहना भी प्यारी है .....मनको कहीं गहरे छू गया ।
सुन्दर माहिया। सुरेन्द्र वर्मा
सुन्दर माहिया। सुरेन्द्र वर्मा
सभी माहियाँ बहुत सुंदर। बधाई ज्योत्स्नाजी
नारी मन की अलग अलग स्थितियों को बहुत खूबसूरती से पिरो दिया माहिये में ज्योत्सना जी ।बहुत अच्छे लगे । बधाई आप को सुन्दर रचना के लिये।
सभी माहिया बहुत सुंदर हैं, ज्योत्स्ना जी बधाई|
पुष्पा मेहरा
बहुत ही सुन्दर माहिया हैं ज्योत्स्ना जी ...
माँ , बहन , भाई , भाभी ...घर-परिवार सबसे मिलवा दिया आपने !
आप बीती कि जग बीती ..क्या कहिये ..बस अनुपम !!
Bahut achha likha yun kalam chalate rahiye meri badhai...
आपका हृदय -तल से आभार ! ये आप लोगों से मिला स्नेह बड़ा ही प्रभावशाली है। ..ये इसी तरह बनाये रखिये |
नारी जीवन में विभिन्न रिश्तों क़ी माला को पिरोती माहिया मोती बेहद सुन्दर ,हार्दिक बधाई आपको ज्योत्सना जी |
सभी माहिया बहुत बेहतरीन...पर ये सबसे अनोखा सा लगा-
अहसास बड़ा प्यारा-
तेरा कोई है
बैरी फिर जग सारा ।
हार्दिक बधाई...|
एक टिप्पणी भेजें