गुरुवार, 21 जून 2012

दिल का द्वार


डॉ हरदीप कौर सन्धु

दूर बैठे ही 
देखा  मन आँगन 
ज्यों दी आवाज़ 
तुम बैठे थे पास 
बहते आँसू 
बुझाने लगे प्यास

सहेज रखे 
मिले जो पल -पल 
फूल हों जैसे 
फुलकारी बिखरे 
मीठी खुशबू 
दिल -आँगन भरे  

दिल का द्वार 
कभी बन्द न होगा  
दस्तक -चुप्पी 
झट से तोड़ देगी 
तेरी खुशबू 
हवा में ढूँढ़ लेगी
अमर ज्योति !
रौशनी चली आए 
 आँधी-तूफ़ान 
टकरा, लौट जाए 
दूरियाँ नहीं ,
ये ज़मीनी फासले 
रूह, मन से मिले
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8 टिप्‍पणियां:

sushila ने कहा…

बहुत सुंदर भाव लिए खूबसूरत चोका। बधाई!

बेनामी ने कहा…

हरिदीप जी... दूर बैठे ही...,सहेज रखे...,दिल का द्वार...,बहुत सुन्दर चौका..दिल
को छू गये। बधाई..
रेनू चन्द्रा

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

बहुत प्यारा चोका है...मेरी बधाई हरदीप जी...।

amita kaundal ने कहा…

बहुत सुंदर चौका है

दिल का द्वार
कभी बन्द न होगा

दस्तक -चुप्पी

झट से तोड़ देगी

तेरी खुशबू

हवा में ढूँढ़ लेगी

अमर ज्योति !

सुंदर भाव.

बधाई,

अमिता कौंडल

Kamlanikhurpa@gmail.com ने कहा…

बहते आँसू
बुझाने लगे प्यास ।

बहुत सुन्दर पंक्तियाँ ....

Dr.Bhawna Kunwar ने कहा…

दिल का द्वार
कभी बन्द न होगा
दस्तक -चुप्पी
झट से तोड़ देगी
तेरी खुशबू
हवा में ढूँढ़ लेगी
अमर ज्योति !

jvaab nahi..

बेनामी ने कहा…

सभी सुन्दर भावयुक्त चोका..बधाई
कृष्णा वर्मा

ज्योत्स्ना शर्मा ने कहा…

आशा की दस्तक लिये बहुत सुन्दर चोका...बधाई आपको