सोमवार, 15 अप्रैल 2013

सेदोका जुगलबन्दी

आज पहली बार त्रिवेणी पर हम सेदोका जुगलबन्दी  पेश कर रहे हैं । आशा करते हैं कि आपको हमारा यह प्रयास अच्छा लगेगा । 

1.
बीता जीवन 
कभी घने बीहड़ 
कभी किसी बस्ती में 
काँटे भी सहे 
कभी फ़ाके भी किए 
पर रहे मस्ती में ।  .............हिमांशु

रमता योगी 
नई -नई राहों पे 
यूँ ही चलता जाए 
नया सूरज 
उगता प्रतिदिन 
नए -नए आँगन । ..............सन्धु 

2 .
हज़ारों मिले 
पथ में मीत हमें 
चुपके से खिसके 
तुम - सा न था 
साथ निभाने वाला 
लौटके आने वाला । .........हिमांशु 

आया अकेला 
देखने यह मेला 
मिला साथ सुहाना 
हँसा ज़माना 
मेले में घूम-घूम 
ढूँढ़ा सुख -खिलौना । .......सन्धु 

11 टिप्‍पणियां:

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

क्या कहने इस जुगलबंदी के...बहुत बढ़िया...|
बधाई और आभार...|

प्रियंका

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

bahut khoob .....!!

डॉ. जेन्नी शबनम ने कहा…

बहुत अच्छी जुगलबंदी. जीवन को साक्षी भाव से देखना और जीना... बहुत उम्दा. काम्बोज भाई और हरदीप जी को बधाई.

ज्योति-कलश ने कहा…

bahut sundar bhaavon kii bahut hii sundar jugalbandee hai ...badhaaii aap dono ko !!

saadar
jyotsna sharma

Dr. Sudha Om Dhingra ने कहा…

अरे वाह, बहुत बहुत बधाई। क्या जुगल बंदी है।

Rachana ने कहा…

lajavab jugal bandi badhai
rachana

प्रतिभा सक्सेना ने कहा…

क्या बात है !

दिगम्बर नासवा ने कहा…

बहुत खूब ... मज़ा आ गया इस जुगलबंदी का ... गहरा अर्थ लिए सभी बंध ....

Madan Mohan Saxena ने कहा…

बहुत सुंदर जुगलबंदी .बेह्तरीन अभिव्यक्ति !शुभकामनायें.

Pushpa mehra ने कहा…

Bahut achhi jugalbandi hai. Badhaai

Sudershan Ratnakar ने कहा…

जुगलबंदी बहुत अच्छी लगी । आप दोनों को बधाई ।