ताँका
1-ऋता
शेखर ‘मधु’
1
खींचता चोटी
दिन भर चिढ़ाता
फिर भी प्यारा
आओ मैं बाँध तो दूँ
रेशमी कच्चा धागा
2
रक्षाबंधन
मायके से जोड़ता
प्यारा बंधन
भाई संग भावज
बहन को दुलारी
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2-कमला घटाऔरा
1
रक्षा बंधन
नहीं भूलना वीर
माँ के आँगन
तुम से छत्र छाया
तुम्ही यादें जागीर ।
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3-पुष्पा मेहरा
1
आई श्रावणी
ले चाँदनी सा मन
प्यारे भैया का्स
झरा प्यार-अमृत
बँधा अटूट बंध ।
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4-मंजु गुप्ता
1
आवाज सुनो !
कोख में ना मार माँ !
बेटी ना बची
कौन बाँधेगा राखी
भाई की कलाई पे ?
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5-सविता अग्रवाल ‘सवि’
1
भैया के माथे
सुहाना लगे टीका
मुँह हो मीठा
बलाएँ ले बहना
मिलन क्या कहना!
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2-सेदोका:
1-डाँ सरस्वती माथुर
1
नेह के तार
भैया के अँगना में
एक सूत्र बाँध के
स्नेह पिरोया
बहना को देख के
भाई ,जाने क्यों रोया?
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3-चोका
1-पुष्पा मेहरा
1
भर उल्लास
घर आया है आज
पावन पर्व
राखी के बंधन का
सजी कलाई
आशा के मोती -भरी
प्यारे भैया की
संगीत हर्ष भरा
गूँजने लगा
उड़े मधुर स्वर
लिपटा मन
विश्वास की तानों में,
बैठी ले आस
आज भी ये बहना
देखती बाट
भैया के आहट की ,
डटे सीमा पे
भुलाके घर-बार
बँधे प्रण से
चमक रहे हैं वे
शुभ्र कांति ले,
दीप यादों के जला
बैठी मैं यहाँ
सजा रही हूँ थाल
थाल में राखी
रोली , अक्षत - मिश्री
और शुभेच्छा ,
तुम नहीं आ सके,
भेजूँ मैं राखी
नेह से भीगी-तुम्हें
आज मैं मान भरी ।
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2-सुदर्शन
रत्नाकर
बहना मेरी
जब वह छोटी थी
नन्हे हाथों से
बाँधा करती वह
रंग बिरंगी
तितलीवाली राखी
सज जाती थी
मेरी सूनी कलाई
तुतला कर
हाथ पकड़ कर
कहती थी वो
भैया अब पैशे दो
वक्त बदला
बदल गई सोच
मेरे अपने
अनकहे प्यार को
स्नेह तार को
समझने लगी वो
भाई विदेश
बहना ससुराल
विवशताएँँ
बढ गई दूरियाँ
बीत गए वे
दिन बचपन के
झगड़ते थे
रूठते मनाते थे
आपाधापी में
पीछे है छूट गई
बचपन की
तितलीवाली राखी
नहीं भूलती
हर वर्ष है आती
राखी उसकी
शब्द कैसे गीले हैं
आसूँ खारे थे
संदेश तो मीठा है
धागा नहीं है
प्यार है यह मेरा
अगले वर्ष
ज़रूर आना भाई
तितलीवाली
राखी तुम्हें बाँधूँगी
पैसे नहीं माँगूँगी।
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3-कमल कपूर
1
भैया जा बसे
सात सागर पार
राह न सूझे
जो आऊँ तेरे द्वार
याद आ रहा
बचपन सुहाना
बीता जमाना
तुम्हारा रूठ जाना
राखी के दिन
मेरा वह मनाना
बांधके राखी
सुंदर औ बड़ी सी
जिसे कहते
तुम गंदी सड़ी -सी
मैं रो पड़ती
तुम चुप कराते
हाथों में मेरे
दो रुपए थमाते
अब न चाहूँ
धन गहना साड़ी
खैर ही चाहूँ
बस भाई तुम्हारी
रक्षा वचन
भी न माँगूँ तुमसे
माँगूँ औ चाहूँ
थोड़ा प्यार तुमसे
डाक से भेजी
मेरी राखी स्वीकार
मानूँ आभार
ये करो उपकार
तुम हो भाई
पापा की परछाई
मैं हूँ माँ जाई
इकलौती बहना
दूर रहना
मजबूरी ठहरी
पीर गहरी
दें यादें सुनहरी
तेरे भाल पे
टीका रोली चंदन
धागा न यह
है स्नेह का बंधन
बांधो यह राखी
शत शरद जियो
आशीष मेरी
सुख अमृत पियो
रक्षा कवच
जानो राखी को भैया
लूँ मैं प्रेम बलैंयाँ।
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