शनिवार, 6 फ़रवरी 2016

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कृष्णा वर्मा
1
आसीन किनारों ने
मरुथल कर डाला
सागर के लारों ने।
2
जब सपने सुर्ख़ जगें
उड़ने को नभ में
पैरों में पंख लगें।
3
सरगम में ढ जाएँ
दुखड़े हर मन के
गीतों में ल जाएँ
4
बीती काली रातें
आ मिल बैठ करें
निज सुख दुख की बातें।
5
किससे फरियाद करूँ
दिल की वीरानी
कैसे आबाद करूँ।
6
निज भूली ठाँव हवा
तपती दोपहरी
भटकी हर गाँव हवा
7
जंगल में फूल खिला
प्यासी ममता को
आँसू उपहार मिला।
8
जीवन किसने बोया
दुख के घेरे में
न रहता है खोया।
9
द्भुत तहख़ाना है
जीवन वीणा पर
आलाप सजाना है।
10
सूरज का ताप बढ़ा
नदिया विधवा -सी
जब जल बन भाप उड़ा।
11
रसना में प्यार भरें
दुख पाताल धँसे
खुशियाँ उजियार करें।
12
द्भुत संतान- कड़ी
पलकें आँखों पर
होतीं ना बोझ कभी।
-0-

8 टिप्‍पणियां:

Anita Lalit (अनिता ललित ) ने कहा…

सभी माहिया सुंदर एवं भावपूर्ण! विशेषकर-
बीती काली रातें
आ मिल बैठ करें
निज सुख –दुख की बातें।

किससे फरियाद करूँ
दिल की वीरानी
कैसे आबाद करूँ।
--बहुत अच्छे लगे।

हार्दिक बधाई कृष्णा दीदी!

~सादर
अनिता ललित

Shashi Padha ने कहा…

बहुत भावपूर्ण माहिया कृष्णा जी , बधाई आपको |
शशि पाधा

Unknown ने कहा…

बढिया

Dr.Bhawna Kunwar ने कहा…

Badi gahan soch hai in mahiya men meri shubhkamnayen...

सविता अग्रवाल 'सवि' ने कहा…

सभी माहिया गहरे भाव लिए हैं .कृष्णा जी बधाई .

Jyotsana pradeep ने कहा…

आसीन किनारों ने
मरुथल कर डाला
सागर के लारों ने।

किससे फरियाद करूँ
दिल की वीरानी
कैसे आबाद करूँ।

बहुत भावपूर्ण माहिया कृष्णा जी , बधाई आपको |

rbm ने कहा…


सभी माहिया सुंदर भावों से भरे हैं कृष्णा जी बधाई |

पुष्पा मेहरा

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

बेहतरीन माहिया हैं सभी...हार्दिक बधाई...|