डॉ ज्योत्स्ना शर्मा
1
दरिया में पानी ना
क्यूँ अब रिश्तों में
वो बात पुरानी ना ।
2
खुशियों का रंग हरा
तुम जो बरस गए
तन धरती का निखरा।
3
खुशियों का रंग भरा
तेरा साथ मिला
मन गीतों का निखरा ।
4
होनी तो होती है
कल की क्या चिंता
"रब है" क्यूँ रोती है ।
5
वो ऐसा गाती थी
फूलों -सी बातें
खुशबू- सी आती थी ।
6
कल तीज पडे़ झूले
सजना 'वो' सजना
हम अब तक ना भूले ।
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12 टिप्पणियां:
बहुत ही सुंदर और भावपूर्ण माहिया। पहला, ५ वाँ और छ्ठा तो कमाल के हैं। बधाई !
दरिया में पानी ना
क्यूँ अब रिश्तों में
वो बात पुरानी ना ।
बहुत सुन्दर
कृष्णा वर्मा
दरिया में पानी ना
क्यूँ अब रिश्तों में
वो बात पुरानी ना ।
rishton ko aapne bakhubi samjha hai...
सभी माहिया एक से बढ़कर एक त्योहारों के दर्शन के साथ सुन्दर भावों के दर्शन भी हुए गेयता, मात्रिक बाध्यता सभी उत्कृष्ट हैं हार्दिक बधाई आपको
वो लिखती है
छोटा सा कुछ
बहुत बड़ी चीज
समझाती है !!
आदरणीय सुशील जी ,Rajesh Kumari ji ,Dr. Bhawna ji,Sushila ji evam कृष्णा वर्मा जी ...बहुत बहुत आभारी हूँ आपने इतने सुंदर प्रेरक शब्दों के साथ मेरा उत्साह वर्धन किया । स्नेह भाव बनाये रखियेगा ...सादर ..ज्योत्स्ना
होनी तो होती है
कल की क्या चिंता
"रब है" क्यूँ रोती है ।......
adbhut bahut sundar bhawpurn
दरिया में पानी ना
क्यूँ अब रिश्तों में
वो बात पुरानी ना ।
वाह सभी हाइकु बहुत अच्छे।
आदरणीय Suresh Choudhary जी एवम निर्मला कपिला जी ..बहुत बहुत आभारी हूँ आपकी ...सादर ज्योत्स्ना
बहुत सुन्दर, बधाई.
बहुत ही सुंदर और भावपूर्ण माहिया...बधाई...|
वो ऐसा गाती थी/ फूलों -सी बातें/ खुशबू- सी आती थी ।........खुशुबदार महिया.....बधाई
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