माहिया
सुदर्शन रत्नाकर
सुदर्शन रत्नाकर
1
पानी
तो
खारा
है
याद
सदा करती
तुमने
ना
जाना
है ।
2
ये
नदियाँ
बहती
हैं
सागर
से
मिलने
कितने
दुख
सहती
हैं ।
3
काजल
की
रेखा
है
आगे
क्या
होगा
किसने
यह
देखा
है
4
तुम दूर नहीं जाना
गर
जाते
हो
तो?
फिर याद नहीं आना ।
5
ये
बंधन
झूठे
हैं
क्यों
विश्वास
करूँ
साजन
जो
रूठे
हैं ।
6
आशा
अब
टूट
गई
जीवन
ठहर
गया
साँसें जब छूट गईं .
7
यूँ
मत
वक्त
गंवाओ
जब
तक
साँसें
हैं
कुछ
तो
करते
जाओ ।
8
क्यों
दु
ख
सहते
हो
मत
अभिमान
करो
साथ
नहीं
रहते
हो ।
9
सूरज
तो
डूबेगा
मत
घबरा
साथी
चन्दा भी
निकले
गा
10
पानी
में
कमल
खिला
तुम
कुछ
कहते
तो
हमको होता न
गिला ।
-0-
ताँका
1- कमला निखुर्पा
आँचल फैला
रब से माँगूँ दुआ
खुशी बरसे
तेरे घर अँगना
छूटे कभी संग ना ।
-0-
2-रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
मेरी बहना
जनम -जनम की
तू है दर्पन
तुझमें दिखता है
मुझे अपना मन ।
-0-
ताँका
1- कमला निखुर्पा
आँचल फैला
रब से माँगूँ दुआ
खुशी बरसे
तेरे घर अँगना
छूटे कभी संग ना ।
-0-
2-रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
मेरी बहना
जनम -जनम की
तू है दर्पन
तुझमें दिखता है
मुझे अपना मन ।
-0-
3 टिप्पणियां:
यूँ मत वक्त गंवाओ
जब तक साँसें हैं
कुछ तो करते जाओ।
बहुत बढ़िया
कमला जी, हिमांशु जी भाई-बहन के स्नेह की कोमल
भावनाओं की इतनी सुन्दर प्रस्तुति आँखे भिगो गई।
बहुत प्यारे माहिया और भावुक कर देने वाले ताँका...। आभार और बधाई...।
प्रियंका
बहुत प्यारे माहिया और भावुक कर देने वाले ताँका...। आभार और बधाई...।
प्रियंका
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