1-डॉ सरस्वती माथुर
1
आँखों में दीप जले
नभ के चंदा -सा
आ जाना शाम ढले ।
2
दीपो में बाती है
यादो की पूनी
मैने भी काती है ।
3
मन -चौरे दीप जले
तू भी आ जाना
जैसे ही शाम ढले ।
4
खेतों में बाली है
तू भी आ जाना ।
तू भी आ जाना ।
सब ओर दिवाली है ।
5
दीपक की झिलमिल है
काली रातों में
पूनम-सी महफ़िल है
6
घर -घर में दीप जले
काली रातों में
कैसे हम आज मिले ?
-0-
5
दीपक की झिलमिल है
काली रातों में
पूनम-सी महफ़िल है
6
घर -घर में दीप जले
काली रातों में
कैसे हम आज मिले ?
-0-
2-ज्योतिर्मयी पन्त
1
1
मन आशा- दीप जले
शुभ दिन आएगा
सबके दुख दर्द टलें ।
2
शुभ दिन आएगा
सबके दुख दर्द टलें ।
2
दीवाली आई है
जगमग दीप जलें
खुशहाली लाई है ।
-0-
जगमग दीप जलें
खुशहाली लाई है ।
-0-
3 टिप्पणियां:
Wah Bahut Sunder Mahiya !
SWATI
दीपक की झिलमिल है
काली रातों में
पूनम-सी महफ़िल है
बहुत सुन्दर ! माहिया उम्दा बनी है !!
बहुत प्यारे माहिया लिखे हैं डॉ . सरस्वती जी बहुत बहुत बधाई
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