1-बाती बोली यूँ-
डॉ सुधा गुप्ता
बाती बोली यूँ
मुझसे मत पूछो
मैं जलती क्यों
स्नेह भरे दीपक
जा कूदी थी मैं
तन–मन भिगोया
प्रेम–कुण्ड में
ऐसी डुबकी मारी
सुधि बिसरा
हुई ‘उसी’ की सारी
गहरे डूबी
कुछ बूझ न पाई
वजूद खोया
भोला–सा मेरा मन
रूई –उजला
नेह में भीगा तन
‘लौ’ ने जो छुआ
भक्क से जल उठी
प्रेम–मगन
तन–मन अगन
बस तभी से
रात–दिन जली मैं
मेरा कहना
मानो तुम बहना
प्रेम–प्रीत में
अतिशय डूबना
बहुत बुरा
कभी न डूबो पूरे
नित्य जलोगे
सदा पीर सहोगे
मैं बाती सहती ज्यों
-0-
2- दीप जलाऊँ--डॉ
भावना कुँअर
दीप जलाऊँ
दीपावली मनाऊँ
भावों -से भरा
एक नन्हा- सा दीया
लेकर चलूँ
और मिलके आऊँ
बेबस माँ से
जिसका साथी बस
एकाकीपन
दे आऊँ समेटके
कुछ खुशियाँ
तब घर जाकर
दीप जलाऊँ ।
मिठाई,पकवान
चमचमाते
मैं लेकर खिलौने
नन्हें मासूम
बेघर,मजबूर
प्यारे बच्चों की
बिखरी वो मुस्कान
लौटा के लाऊँ
तब मन से फिर
दीप जलाऊँ ।
उजड़े -से बंजर
खलिहानों में
बरसे पानी,ऐसी
जी भर कर
मैं गुहार लगा लूँ
तब दीपक
खुशियों के जलाऊँ
दीपावली मनाऊँ ।
-0-
3-हरकीरत
'हीर'
तेरे लिए हैं
प्रिय दीप जलाए
तेरे लिए ही
अरमान सजे ये
तेरे लिए ही
आँगन ज्योत सजी
तेरे लिए ही
देख बाती जगी ये
सजी रंगोली
तेरे लिए साजन
वन्दनवार
हँसी तेरी खातिर
तेरे लिए ये
उतरे हैं सितारे
तेरी खातिर
आँखों से अश्क बहे
तेरी खातिर
हवा खामोश रही
तेरे लिए ही
चाँद छुपा आज है
तेरी खातिर
देख रात सजी है
जले उदास
दीपक गुमसुम
लिख दो पाँति
प्रिय दीप जलाए
तेरे लिए ही
अरमान सजे ये
तेरे लिए ही
आँगन ज्योत सजी
तेरे लिए ही
देख बाती जगी ये
सजी रंगोली
तेरे लिए साजन
वन्दनवार
हँसी तेरी खातिर
तेरे लिए ये
उतरे हैं सितारे
तेरी खातिर
आँखों से अश्क बहे
तेरी खातिर
हवा खामोश रही
तेरे लिए ही
चाँद छुपा आज है
तेरी खातिर
देख रात सजी है
जले उदास
दीपक गुमसुम
लिख दो पाँति
प्रेम की फिर तुम
भर दो मीठी
प्रीत की सरगम
बिन प्रीत के
पिया जले न दीप
भर दो मीठी
प्रीत की सरगम
बिन प्रीत के
पिया जले न दीप
दिल में है अँधेरा ...!!
-0-
2 टिप्पणियां:
सभी रचनाएँ बहुत सुंदर .... दीपावली की शुभकामनायें
Sudha ji ki rachna vo jo gahan abhivyakti hai uski prasansha ke liye mere paas to shabd nahi hain...sabhi rachnakaron ko dipavali ki hardik shubkamnayen....
एक टिप्पणी भेजें