डॉ सरस्वती माथुर
यादो की कश्ती
भागमभाग पाँव
धूप -सागर
खो गई फिर छाँव
घर भी छूटा
छूट गया है गाँव
अब संघर्ष
भँवर हो उठे हैं
आँखों के ख्वाब
नींद की बगिया में
तितली जैसे
मन के फूलों पर
ढूँढ़ रहे हैं रंग !
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7 टिप्पणियां:
घर भी छूटा
छूट गया है गाँव
अब संघर्ष
भँवर हो उठे हैं....यथार्थ ....सुन्दर प्रस्तुति ..!!
Samsamyikta bahu2 badhai
सुन्दर प्रस्तुति...बधाई...।
प्रियंका
सुन्दर प्रस्तुति... बधाई...।
प्रियंका
बहुत खूबसूरत !
~सादर !!!
"...आँखों के ख्वाब
नींद की बगिया में
तितली जैसे
मन के फूलों पर
ढूँढ़ रहे हैं रंग !"....बहुत सुंदर चोका ......बधाई सरस्वती जी !
स्वाति
खूबसूरत प्रस्तुति...बधाई।
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