1-शशि पुरवार
1
तपती है जब धरती
बदली ना
बरसी
वो छिन- छिन है मरती ।
2
सपनो में
रंग भरो
नैना सजल हुए
जितने भी
जतन करो।
3
माँ जैसी
बन जाऊँ
छाया हूँ
उनकी
उन तक न
पहुँच पाऊँ।
4
सब भूल
रहे बतियाँ
किसको बतलाएँ
कैसे
बीतीं रतियाँ ।
5
फिर डाली
ने पहने
रंग भरे
नाजुक
ये फूलो
के गहने .
6
डाली -डाली महकी,
भौरों की
गुंजन,
क्यों
चिड़िया ना चहकी।
-0-
2-हरकीरत ‘हीर’
1
ये
रिश्ते ठहरे से
देकर घाव गए
उम्रों के गहरे से ।
देकर घाव गए
उम्रों के गहरे से ।
2
जो छूट गए थे कल
खोज रही हूँ फिर
रब्बा! प्यारे वो पल ।
खोज रही हूँ फिर
रब्बा! प्यारे वो पल ।
-0-
3-कविता मालवीय
1
आई तेरी पाती
बार-बार
साँकल
पुरवैया
खड़काती ।
2
रख लो मन
को ख़ाली
यादों का
भाड़ा
दे देगी
कंगाली ।
-0-
3 टिप्पणियां:
सभी माहिया बड़े मन भावन !
कविता जी, हरकीरत जी, शशि जी...बधाई !
फिर डाली ने पहने
रंग भरे नाजुक
ये फूलो के गहने ....बहुत सुन्दर बिम्ब लिए माहिया !
जो छूट गए थे कल
खोज रही हूँ फिर
रब्बा! प्यारे वो पल ।.....बहुत भावपूर्ण ...एक अनवरत तलाश !!
रख लो मन को ख़ाली
यादों का भाड़ा
दे देगी कंगाली ।...मन को छू गया .....बहुत बधाई शशि जी ,हरकीरत 'हीर' जी एवं कविता जी !!
सभी माहिया बहुत मनमोहक. आप सभी को हार्दिक बधाई.
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