शशि पुरवार
1
ऐ ,री, सखि तुम आओ
रंगो की मस्ती
मेले में खो जाओ .
2
फिर मुखड़ा लाल हुआ
नयनों में
सजना
मन आज गुलाल हुआ।
3
मनभावन यह होली
दो पल में भूले
वैरी अपनी बोली
4
रंग -भरी पिचकारी
छेड़ रहे सजना
सजनी , आज न हारी।
-0-
7 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर माहिया शशि जी ! विशेषकर तीसरा वाला...! कितनी सच्ची बात कही आपने ! बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति !
~सादर
अनिता ललित
shashi ji apke mahiya padhkar sach!...man gulal hi ho gaya....holi ki shubhkaamnaye
बढ़िया
बधाई
sundar maahiyaa ...
मनभावन यह होली
दो पल में भूले
वैरी अपनी बोली......बहुत मनभावन ....बधाई शशि जी !
sajani aj na hari. bahut sunder sashi ji apapko badhai va shubhkamanayen.
sundar mahiya :)
मनभावन यह होली
दो पल में भूले
वैरी अपनी बोली
सच है बिलकुल...रँगे पुते हुए तो वैसे भी नज़र नहीं आता कि कौन अपना है और कौन पराया...|
बहुत सुन्दर...बधाई...|
एक टिप्पणी भेजें