गुरुवार, 13 मार्च 2014

होली के रंग


1-शशि पाधा
1
होली के रंग उड़े
नयनों की नगरी
सुख सपने आन जुड़े।
2
रुत छैल छबीली -सी
पनघट आन खड़ी
हर नार सजीली -सी ।
3
मुख लाल गुलाल हुआ
रंग  नहीं डाला
क्यों ऐसा हाल हुआ ।
4
सुर चैती होरी के
मीठे गान सजे
अधरों पे गौरी के।
5
मौसम मनमाना- सा
रह-रह छेड़ रहा
वो गीत सुहाना- सा।
6
क्या हँसी- ठिठौली थी
बाबुल के अँगना
हर रुत ही होली थी ।
7
ढोलक मंजीरा सा
रंगों से भीजा
तन दमके हीरा- सा।
8
जादू संगीत हुआ
पल दो पल में ही
बेगाना मीत हुआ।
-0-

2-डॉ सरस्वती माथुर
 1
फूली -फूली सरसों 
अब तो आ जाओ
देखा न, हुए बरसों।
2
रजनीगंधा महकी
होली आई तो
यादें बन कर चहकी ।
3
नैनो के दरवाजे   
खोल रहीं देखो
सपनों की आवाजें  ।

    -0-

4 टिप्‍पणियां:

ज्योति-कलश ने कहा…

हीरे से दमकते और रजनी गंधा से महकते ...बहुत सुन्दर , मधुर माहिया हैं ...हार्दिक बधाई दोनों कवयित्रियों को !!
सादर
ज्योत्स्ना शर्मा

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

होली के खुशनुमा रंगों से रंग-बिरंगे माहिया के लिए आप दोनों को हार्दिक बधाई...|

Jyotsana pradeep ने कहा…

gulaal lagaye....holi ke prem mein doobe bahut sunder mahiya ....holi shubh ho ....bahut bahut badhai

Pushpa mehra ने कहा…

sashi ji holi ke rangon me doobe sabhi mahiya bahut sunder hain.sashi ji va mathur ji ap dono koholi ki shubhkamanayen.
pushpa mehra.