1-अनिता ललित
1
सुख की नदी
बहती कल-कल
संग अपने
बहा ले जाती सभी
सूखे दुःख-तिनके !
2
पतझर में
झरते दुःख-पात
दे देते राह
सुख की कलियों को
जीवन-बसंत को !
3
तपते दुःख
थम जाते दिल में
लाते मुस्कान
जब भी याद आते
सुख-चाँदनी तले।
4
सोया था सुख
जीवन-सिंधु तीर
आया तूफ़ान
दुःख-लहरें डूबीं
सुख जाग के तैरा।
-0-
2- कृष्णा वर्मा
1
वही मिटें जो
करें ना वक्त प्रतीक्षा
सीली काठ सा
धुँआए है जीवन
दे दे अग्नि-परीक्षा ।
10 टिप्पणियां:
भावपूर्ण ताँका कृष्णा जी !
~सादर
अनिता ललित
सुंदर शब्दों के चयन की सुंदर रचनाएँ .
बधाई
soya tha sindhu.......,evam vahi miten, ,jo karen na vakht pratixa........
anita ji va krishna ji ap dono ke tanka bahut hi sarthak hain. badhai.
pushpa mehra.
sundar bhav bhare tanka , anita ji krishna ji hardik badhai
बहुत बढ़िया
सभी ताँका सुन्दर हैं ..
'पतझर में ' और 'अग्नि-परीक्षा' बहुत अच्छे लगे ...हार्दिक बधाई अनिता जी एवं कृष्णा जी
खूबसूरत...भावपूर्ण तांका के लिए बधाई...|
sukh ,dukh ki amit kahani kahte.bahut khoobsurat taanke anitaji..
सुख की नदी
बहती कल-कल
संग अपने
बहा ले जाती सभी
सूखे दुःख-तिनके !
dhuaye hai jeevan.......
krishnaji.......bahut hi sunder taanka
बहुत सुन्दर भावपूर्ण ताँका....अनिता जी बधाई !
बहुत बेहतरीन...
:-)
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