1-माहिया
सुनीता अग्रवाल
सुनीता अग्रवाल
सुनीता अग्रवाल |
1
सरगम है, लोरी है
भारत की नारी
रेशम की डोरी है ।
2
अबला जिसको माना
लक्ष्मी बाई है
तुम भूल नहीं जाना ।
3
बाती -सी जलती है
दीपक बन नारी
मन का तम हरती है ।
4
सीता का सत जिसमें
तुलसी- सी पावन
गौरी का तप इसमें ।
5
सपने हैं लाखों में
करुणा का सागर
कजरारी आँखों में ।
6
परिवार न पूरा है
नारी तेरे बिन
ब्रह्माण्ड अधूरा है ।
7
बिन पात न पेड़ सजे
मसली जो कलियाँ
फल- फूल कहाँ उपजे ।
-0-
2-सेदोका डॉ सरस्वती माथुर
1
माँ बेटी सी
पत्नी,
बहिन- जैसी
अंकुराती आकाश
घर-
आँगन
देहरी द्धार पर
नारी एक विश्वास
2
नारी माँ भी
बेटी
- भार्या भी नारी
स्नेह प्यार से नारी
महक बाँट
जीवनदायिनी सी
सम्मोहित करती
l
-0-
6 टिप्पणियां:
क्या बात है।एक से बढ़कर एक!
बहुत सुंदर
नारी की महिमा को कहती बहुत सुन्दर रचनाएँ ...बधाई दोनों रचनाकारों को !
nari ki mahanta batate sabhi sedoka va mahiya achhe likhe hain'
sunita ji va sarasvati ji ko badhai.
pushpa mehra.
कम्बोज भैया एवं हरदीप दी हार्दिक आभार माहिया के मेरे इस प्रयास को यहाँ स्थान दे कर आपने मेरा उत्साह बढाया |
आदरणीय सरस्वती जी अतिसुन्दर सेदोका ..नारी के विविध चरित्र को उजागर करती हुयी |
पारुल जी रामअजय जी आपका हार्दिक आभार रचना को पसंद कर ने के लिए
बहुत अच्छे और सुन्दर माहिया और सेदोका हैं...| बधाई...|
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