बुधवार, 3 अगस्त 2022

1055-मेघ

 

भीकम सिंह 

 

मेघ -1

 

बाद में देना 

यक्षिणी को संदेश 

कालिदास के

पुष्करावर्त मेघ !

पलभर को

ठिठककर देख

हमारे खेत

सूखी दरकी मेड़ 

तुझे गुहारे 

धान की पौध पड़ी

आँखें तुझपे गड़ी 

 

मेघ-2

 

कालिदास के 

पुष्करावर्त मेघ 

यक्ष वाले हो

या मालवा पे रुके

भटके मेघ

वो, रामगिरि वाले

कौन हो तुम 

जो सूखे खेतों पर

अफवाहों की

कुछ घटाएँ ताने

कड़कना ही जाने ।

 

मेघ- 3

 

इतना ढीठ

बना क्यों सत्यानाशी 


मेघ कपासी !

क्यों उड़वा रहा है 

खेती की हाँसी 

जाने कित्ते किसान 

चढ़के फाँसी 

पहुँच गए काशी 

फिर भी तेरी 

अँखियाँ सकुचाती

बरस नहीं पाती 

 

मेघ- 4

 

घर - बाहर

खाली पड़ी है सब

भात -पतीली 

केवल रहती हैं

अँखियाँ गीली 

होती है तेरी बात 

जल के  अति 

सूक्ष्म कणों के पुंज  !

सुन ली गूँज 

रिम झिम भी सुणा 

प्यासा है खेत घणा 

 

मेघ- 5

 

क्षितिज पर 

कोलाज की तरह

या फिर एक

आवारा की तरह

हवा के साथ 

घूमते देखा मैंने 

मेघ  ! तुमको 

किन्तु प्यासी धरा को 

नदी भरोसे 

क्षीण धार पे छोड़ा

यहाँवक़्त दो थोड़ा 

12 टिप्‍पणियां:

शिवजी श्रीवास्तव ने कहा…

मेघ को उलाहना,मेघ से शिकायत,मेघ से निवेदन...कई भावों को लिए हुए एक कृषक की व्यथा को अभिव्यक्त करते सुंदर चोका।भाई भीकम सिंह जी को बधाई।

dr.surangma yadav ने कहा…

बहुत सुंदर सर ।हार्दिक बधाइयाँ।

Anita Lalit (अनिता ललित ) ने कहा…

मेघों उलाहना देते सुंदर चोका! हार्दिक बधाई आ. भीकम सिंह जी!

~सादर
अनिता ललित

डॉ. दिलबागसिंह विर्क ने कहा…

आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 4.8.22 को चर्चा मंच पर चर्चा - 4511 में दिया जाएगा| आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी |
धन्यवाद

Sudershan Ratnakar ने कहा…

मेघों। को उलाहना देते उत्कृष्ट चोका हार्दिक बधाई भीकम सिंह जी।

Gurjar Kapil Bainsla ने कहा…

घर - बाहर
खाली पड़ी है सब
भात -पतीली
केवल रहती हैं
अँखियाँ गीली।

सभी चोका सुंदर है। मेघदूत के मेघों का अच्छे से प्रयोग किया है। आपके उत्कृष्ट साहित्य का इंतेजार रहेगा।


भीकम सिंह ने कहा…

मेरे चोका प्रकाशित करने के लिए सम्पादक द्वय का हार्दिक धन्यवाद और खूबसूरत टिप्पणी करने के लिए आप सभी का हार्दिक आभार ।

डॉ. जेन्नी शबनम ने कहा…

गज़ब! भीकम सिंह जी की लेखनी अद्भुत होती है। सभी चोका बहुत सुन्दर और भावपूर्ण। भीकम सिंह जी को बधाई।

मन की वीणा ने कहा…

अद्भुत सृजन अंतर तक उतरते भाव ।
चोका विधा की सुंदर रचनाएं।

बेनामी ने कहा…

अद्भुत सृजन।
आपकी लेखनी में जादू है। आँखों के सामने जैसे सब कुछ घट रहा हो, पढ़कर यों अनुभूति होती है।

हार्दिक बधाई 💐🌷

सादर

Sonneteer Anima Das ने कहा…

सुंदर सृजन 🌹🙏

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

वाह बहुत सुन्दर, हार्दिक बधाई