रश्मि विभा त्रिपाठी
1
जब नाम पुकारा है
प्रिय का प्रेम मुझे
देता हरकारा है।
2
तुमको ऐसे पाया
तन के संग जुड़ी
रहती है ज्यों छाया।
3
बस प्यार निबाहूँ मैं
बिन तेरे कुछ भी
बिधि से ना चाहूँ मैं।
4
अपना तो इक मन है
टूटेगा कैसे
साँसों का बन्धन है।
5
प्राणों की है थाती
तेरी प्रीति प्रिये
सौ- सौ सुख बरसाती।
6
जादू- सा कर देते
तुम हौले हँसके
मेरा दुख हर लेते।
7
मुझको सबसे प्यारे
जगमग मैं तुमसे
आँखों के तुम तारे।
8
माही की मधु बानी
सब दुख हर लेती
सचमुच शुभ वरदानी।
9
माही की दो बातें
सुनकर मैं पाऊँ
सुख की सब सौगातें।
10
मन की किसने जानी
मेरी पीर सदा
तुमने ही पहचानी।
11
तुमको जबसे पाया
मन के मरुथल में
मधुमास नया आया।
12
बरसों
की आदत है
कैसे
भूलूँ मैं
तू
खास इबादत है।
16 टिप्पणियां:
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बहुत सुन्दर
वाह! अतिसुंदर! मनमोहक माहिया!
~सादर
अनिता ललित
सभी माहिया बहुत सुंदर है।
मन की किसने जानी
मेरी पीर सदा
तुमने ही पहचानी।1
तुमको ऐसे पाया
तन के संग जुड़ी
रहती है ज्यों छाया।2
मन की बात कम शब्दों में कहना।
माहिया प्रकाशित करने हेतु आदरणीय सम्पादक द्वय का हार्दिक आभार।
अपनी टिप्पणी से मुझे नव ऊर्जा देने के लिए नीलाम्बरा, आदरणीया अनिता ललित व कपिल जी का हृदय तल से आभार।
सादर
मनभावन माहिया।बधाई रश्मि जी।
भावपूर्ण एवं मनभावन माहिया,, शुभकामनाएं ------ परमजीत कौर 'रीत'
बहुत सुन्दर, हार्दिक शुभकामनाएँ ।
वाह! बहुत मनमोहक माहिया। बधाई रश्मि जी.
जादू- सा कर देते
तुम हौले हँसके
मेरा दुख हर लेते।
...प्रेम की कोमल अनुभूतियों के सुंदर माहिया।
सभी माहिया बहुत ही सुंदर... रश्मि जी 🌹🙏
बहुत सुंदर मनमोहक माहिया। बहुत बहुत बधाई रश्मि विभा जी। सुदर्शन रत्नाकर
वाह! एक से बढ़कर एक सरस् सुंदर माहिया रश्मि जी!
प्रेमी हृदय के सुन्दर माहिया । सभी माहिया मर्मस्पर्शी गेय । रश्मि विभा जी को दिली बधाई ।
आदरणीया सुदर्शन दीदी, सुरंगमा जी, जेन्नी शबनम जी, प्रीति जी, विभा रश्मि जी, अनिमा जी, परमजीत कौर जी, आदरणीय शिव जी श्रीवास्तव जी एवं भीकम सिंह जी का हार्दिक आभार।
सादर 🙏
प्रेम की कोमल अनुभूति से पगे माहिया...दिल को भा गए
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