सोमवार, 5 नवंबर 2012

यादो की कश्ती


डॉ सरस्वती माथुर  

यादो की कश्ती
भागमभाग पाँव
धूप -सागर
खो गई फिर छाँव
घर भी छूटा
छूट गया है गाँव
अब संघर्ष
भँवर हो उठे हैं
आँखों के ख्वाब
नींद की बगिया में
तितली जैसे
मन के फूलों पर
ढूँढ़ रहे हैं रंग !
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7 टिप्‍पणियां:

ज्योत्स्ना शर्मा ने कहा…

घर भी छूटा
छूट गया है गाँव
अब संघर्ष
भँवर हो उठे हैं....यथार्थ ....सुन्दर प्रस्तुति ..!!

Dr.Bhawna Kunwar ने कहा…

Samsamyikta bahu2 badhai

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

सुन्दर प्रस्तुति...बधाई...।
प्रियंका

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

सुन्दर प्रस्तुति... बधाई...।
प्रियंका

Anita Lalit (अनिता ललित ) ने कहा…

बहुत खूबसूरत !
~सादर !!!

बेनामी ने कहा…

"...आँखों के ख्वाब

नींद की बगिया में

तितली जैसे

मन के फूलों पर

ढूँढ़ रहे हैं रंग !"....बहुत सुंदर चोका ......बधाई सरस्वती जी !

स्वाति

Krishna Verma ने कहा…

खूबसूरत प्रस्तुति...बधाई।