रचना श्रीवास्तव
त्योहार तुझे
यदि आना है तो आ
मेरे हाथों में
यदि आना है तो आ
मेरे हाथों में
तुम चंद सिक्के तो
धरते जाओ
ताकि बो दूँ अपने
बच्चों की आँखों
में ,कुछ उम्मीद भी
और उनके
श्वेत श्याम स्वप्नों को
मैं दे दूँ कुछ
इन्द्रधनुषी रंग
व्याकुल कान
खनकता -सा गीत
सुन पाएँगे
अबके इस होली
कुछ वो पके
जो कभी पका नहीं
भूख न चढ़े
चूल्हे पे ,पूड़ी बने
दुख कर ले
बंद अपने द्वार
लगा दे ताला
अब के खुश हुए
सदियाँ बीत गईं ।
-0-
धरते जाओ
ताकि बो दूँ अपने
बच्चों की आँखों
में ,कुछ उम्मीद भी
और उनके
श्वेत श्याम स्वप्नों को
मैं दे दूँ कुछ
इन्द्रधनुषी रंग
व्याकुल कान
खनकता -सा गीत
सुन पाएँगे
अबके इस होली
कुछ वो पके
जो कभी पका नहीं
भूख न चढ़े
चूल्हे पे ,पूड़ी बने
दुख कर ले
बंद अपने द्वार
लगा दे ताला
अब के खुश हुए
सदियाँ बीत गईं ।
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2-पहली होली की पहली फुहार
अनिता ललित
ना वास्ता कोई
ना ही कोई बंधन
बीती बातों से ,
फिर भी ना जाने क्यूँ
जब चलती
ये बयार फाल्गुनी,
पूनम चाँद
खिले आसमान में,
महक उठे...
अतीत की बगिया
बह उठती...
भूली यादों की हवा,
सोंधी सी खुशबू
वो पहली फुहार,
पहली होली
जो सपनों में खेली
वो एहसास
नहीं था अपना जो
ना ही पराया
दिल मानता उसे !
मासूम रिश्ता
मासूम नादानियाँ
लाल, गुलाबी
रंगों में सजी हुई
बिखेर जाती
मुस्कुराती उदासी,
रंगीन लम्हे
भर के पिचकारी
क्यूँ भिगो जाते
आँखों की सूखी क्यारी?
भूली कहानी
यादों में सराबोर
मचल जाती,
ले नमकीन स्वाद
हो के बेरंग,
ओस की बूँदें जैसे
खेलतीं होली ...
ले पहली होली की...
भीगी प्यारी फुहार...!
ज्योतिर्मयी पन्त
1
1
बच्चों की किलकारी
अँगना रंग -भरा
हाथों में पिचकारी ।
2
होली का आलम है
झूम रहा मन भी
आया घर बालम है .
-0-
अँगना रंग -भरा
हाथों में पिचकारी ।
2
होली का आलम है
झूम रहा मन भी
आया घर बालम है .
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5 टिप्पणियां:
रचना सदा की तरह दिल को छूती हुयी रचना .... मेरे हाथों में/तुम चंद सिक्के तो/धरते जाओ/ताकि बो दूँ अपने /बच्चों की आँखों /में ,कुछ उम्मीद ....अबके इस होली /कुछ वो पके/जो कभी/पका नहीं /भूख न चढ़े /चूल्हे पे ,पूड़ी बने /दुख कर ले /बंद अपने द्वार /लगा दे ताला .... मन को झकझोरती से यह रचना बस अनुपम ही है .... सदा ही तुम्हारी कलम यूँ ही अर्थपूर्ण रचती रहे ....
अनीता जी सही कहा आपने रंगीन लम्हे अक्सर आँखों की क्यारी को भिगो जाते हैं .... रंगीन लम्हे /भर के पिचकारी /क्यूँ भिगो जाते /आँखों की सूखी क्यारी?
manju mishra
www.manukavya.wordpress.com
manju ji aap itne pyar se likhti hain ki man khush hojata hai .aur bhi likhne ko dil karta hai
bahut bahut dhnyavad
rachana
रचना जी...आपका चोका बहुत ही सुंदर है! दिल को छू गया!
आपको होली की हार्दिक शुभकामनाएँ!:-)
~सादर!!!
मंजू जी...मेरा चोका पसन्द करने, सराहने व प्रोत्साहन देने का हार्दिक आभार!
आपको सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनाएँ!! :-)
~सादर!!!
अबके इस होली
कुछ वो पके
जो कभी पका नहीं
भूख न चढ़े
चूल्हे पे ,पूड़ी बने
दुख कर ले
बंद अपने द्वार
लगा दे ताला
अब के खुश हुए
सदियाँ बीत गईं ।...bahut sundar bhaav bharee prastuti .....rachanaa ji bahut badhaii
...aur ...ये बयार फाल्गुनी...mujhe vishwaas hai sabhi ko ateet kii bagiyaa mein ghumaa laaii hogii ...ati sundar ...Anita ji
jyotirmai ji ke maahiyaa bhi bahut madhur lage ...bahut badhaaii ...shubh kaamanaaye !!
saadar
jyotsna sharma
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