1-डॉ जेन्नी शबनम
1
अपनी आत्मा
रोज़-रोज़ कूटती
औरत ढेंकी
पर आस सँजोती
अपनी पूर्णता की ।
2
मन पिंजरा
मुक्ति की आस लगी
उड़ना चाहे
जाए तो कहाँ जाए
दुनिया तड़पाए !
3
न देख पीछे
सब अपने छूटे
यही रिवाज़
दूरी है कच्ची राह
मन के नाते पक्के !
4
ज़िन्दगी सख्त
रोज़ रोज़ घिसती
मगर जीती
पथरीली राहों पे
निशान है छोड़ती !
5
मन छुहारा
ज़ख़्म सह-सह के
बनता सख्त
रो रो कर हँसना
जीवन का दस्तूर !
6
मन जुड़ाता
गर अपना होता
वो परदेसी
उमर भले बीते
पर आस न टूटे !
7
लहलहाते
खेत औ खलिहान
हरी धरती
झूम-झूम है गाती
खुशहाली के गीत !
-0-
2-ज्योतिर्मयी पन्त
1
प्रेम सिंचित
काँटें भी देते पुष्प
नागफनी से
चुम्बक मीठी वाणी
अपना ले सभी को ।
2
काँटें भी देते पुष्प
नागफनी से
चुम्बक मीठी वाणी
अपना ले सभी को ।
2
गौरैया पूछे
कहाँ बनाऊँ नीड़
कंक्रीट वन
गाँव -खेत बिकते
उगाने को शहर ।
कहाँ बनाऊँ नीड़
कंक्रीट वन
गाँव -खेत बिकते
उगाने को शहर ।
3
बेटी अपनी
कैसे हुई पराई ?
माँगती प्यार
गर्भनाल के साथ
कटे न माँ का प्यार।
4
कैसे हुई पराई ?
माँगती प्यार
गर्भनाल के साथ
कटे न माँ का प्यार।
4
पढ़ें बेटियाँ
बढ़ें प्रगति- पथ
ऊँची उड़ान
छू लेंगी आसमान
अवसर पंख मिले।
5
बढ़ें प्रगति- पथ
ऊँची उड़ान
छू लेंगी आसमान
अवसर पंख मिले।
5
मन सागर
सुर असुर भाव
मथें अमृत
बाँटे सुविचार ही
वचन अमर हों।
-0-
सुर असुर भाव
मथें अमृत
बाँटे सुविचार ही
वचन अमर हों।
-0-
3-कृष्णा वर्मा (रिचमंड हिल)
1
घायल तृण
प्यासे तरुवर थे
बरसे घन
सरसी सूखी धरा
तोड़ निर्जला व्रत।
2
निर्भीक बहे
नदिया सीने संग
लिपटी कश्ती
लहरों के काँधे पे
चढ़के करे मस्ती।
3
बची उदासी
मुस्कुराहटें हुईं
अज्ञातवासी
जब से रीत गया
मृदु अपनापन।
4
आसमान से
गिरते हिम-कण
धुनी कपास
ओढ़ रज़ाई सोई
धरा वर्ष के बाद।
5
कौन रंगता
मोहक तितलियाँ
उकेरे चित्र
सज्जित मनोहारी
अनोखी कलाकारी।
-0-
4 टिप्पणियां:
सभी तांका बेहतरीन ... रचनाकारों को बधाई
गौरैया पूछे
कहाँ बनाऊँ नीड़
कंक्रीट वन
गाँव -खेत बिकते
उगाने को शहर ।
Shaharikarn ko bahut mamarmik dhang se prastut kiya hai....
ज़िन्दगी सख्त
रोज़ रोज़ घिसती
मगर जीती
पथरीली राहों पे
निशान है छोड़ती !
jindagi ki mushkil raahon ko ghanta se abhivyakt kiya hai..
Sabhi lekhkon ko hardik badhai...
सभी तांका बहुत सुन्दर...छुहारे से मन की तुलना...बहुत बढ़िया जेन्नी जी...।
मिथिलेश जी ने नल से दो बूँद आँसू टपकने की बात कह कर बहुत कुछ बयान कर दिया...।
सभी रचनाकारों को बधाई...।
प्रियंका
मेरे ताँका को पसंद करने के लिए आभार. कृष्णा जी, मिथिलेश जी और ज्योतिर्मय जी को सुन्दर रचना के लिए हार्दिक बधाई.
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