शनिवार, 29 सितंबर 2012

अम्बर ओढूँ



1-शशि पाधा
1
अम्बर ओढूँ
शीत -रेत -बिछौना
तारों के दीप
हवाओं की थपकी
हों सपने तुम्हारे  ।
2
चाँद से कहो-
क्यों हँसते हो आज
जानो ना तुम?
वो नहीं आसपास
मैं कितनी उदास  !!
3
वीणा से कहो
कोकिल से कह दो
गाए ना आज
सुनूँगी मैं केवल
धड़कन का गीत  ।
4
नदी की धार
चुपचाप नीरव
एकाकी बही
छूट गए किनारे
सागर का मोह था  ।
-0-
2-डॉ अमिता कौण्ड
1
 पग-  बंधन
मन उड़ना चाहे
न घबरा यूँ
जब किया संकल्प
तो होगा ही साकार
2
दर्द ने दिया
अपनेपन का जो
मीठा आभास
दर्द को ही अब है
अपना बना लिया
3
न घबरा तू
जग की बाधाओं  से 
ये सब  राह
मंजिल को पाने की
बस चलता ही जा  
4
दुःख जो मिले
तो अपना ले साथी
पर सुख में
न अपनाना अहं
तो जीवन साकार  
5
आशा की डोर
पकड़ ले मुठ्ठी में
हो अग्रसर
जीवन पथ पर
होंगे सपने पूरे
-0-

9 टिप्‍पणियां:

ज्योत्स्ना शर्मा ने कहा…

सभी ताँका एक से बढ़कर एक ....
अम्बर ओढूँ
शीत -रेत -बिछौना
तारों के दीप
हवाओं की थपकी
हों सपने तुम्हारे ।....एवं

दुःख जो मिले
तो अपना ले साथी
पर सुख में
न अपनाना अहं
तो जीवन साकार ।......बहुत सुन्दर लगे ...




Krishna Verma ने कहा…

नदी की धार
चुपचाप –नीरव
एकाकी बही
छूट गए किनारे
सागर का मोह था

पग- बंधन
मन उड़ना चाहे
न घबरा यूँ
जब किया संकल्प
तो होगा ही साकार ।

सुन्दर भाव शशि जी, अमिता जी को बधाई।

sushila ने कहा…

सभी ताँका बहुत ही मनभावन।शशि पाधा जी के पहले दो ताँका विशेष रूप से पसंद आए।
डॉ अमिता कौण्डल के प्रेरित करते हाइकु मन में नया विश्‍वास जगाते हैं।
दोनों कवयित्रियों को सुंदर लेखन के लिए बधाई !

शशि पाधा ने कहा…

ज्योत्सना जी , धन्यवाद |

शशि पाधा ने कहा…

कृष्णा वर्मा जी , आपका हार्दिक धन्यवाद |

बेनामी ने कहा…

सभी तांका बहुत अच्छे लगे...विशेषकर शशि पाधा जी का अम्बर ओढ़ूं..और अमिता जी का दर्द ने दिया...,दु:ख जो मिले..बहुत अच्छे लगे। बधाई..
रेनु चन्द्रा

शशि पाधा ने कहा…

धन्यवाद सुशीला जी| यह मेरा तांका लिखने क पहला प्रयास है | उत्साह वर्धन के लिए आभार |

शशि पाधा ने कहा…

रेनुचन्द्रा जी , आपका बहुत बहुत धन्यवाद |

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

सभी तांका बहुत बढ़िया हैं...बधाई...।