1-शशि पाधा
1
अम्बर ओढूँ
शीत -रेत -बिछौना
तारों के दीप
हवाओं की थपकी
हों सपने तुम्हारे ।
2
चाँद से कहो-
क्यों हँसते हो आज
जानो ना तुम?
वो नहीं आसपास
मैं कितनी उदास !!
3
वीणा से कहो
कोकिल से कह दो
गाए ना आज
सुनूँगी मैं केवल
धड़कन का गीत ।
4
नदी की धार
चुपचाप –नीरव
एकाकी बही
छूट गए किनारे
सागर का मोह था ।
-0-
2-डॉ अमिता कौण्डल
1
पग- बंधन
मन उड़ना चाहे
न घबरा यूँ
जब किया संकल्प
तो होगा ही साकार ।
2
दर्द ने दिया
अपनेपन का जो
मीठा आभास
दर्द को ही अब है
अपना बना लिया ।
3
न घबरा तू
जग की बाधाओं से
ये सब राह
मंजिल को पाने की
बस चलता ही जा ।
4
दुःख जो मिले
तो अपना ले साथी
पर सुख में
न अपनाना अहं
तो जीवन साकार ।
5
आशा की डोर
पकड़ ले मुठ्ठी में
हो अग्रसर
जीवन पथ पर
होंगे सपने पूरे
-0-
9 टिप्पणियां:
सभी ताँका एक से बढ़कर एक ....
अम्बर ओढूँ
शीत -रेत -बिछौना
तारों के दीप
हवाओं की थपकी
हों सपने तुम्हारे ।....एवं
दुःख जो मिले
तो अपना ले साथी
पर सुख में
न अपनाना अहं
तो जीवन साकार ।......बहुत सुन्दर लगे ...
नदी की धार
चुपचाप –नीरव
एकाकी बही
छूट गए किनारे
सागर का मोह था
पग- बंधन
मन उड़ना चाहे
न घबरा यूँ
जब किया संकल्प
तो होगा ही साकार ।
सुन्दर भाव शशि जी, अमिता जी को बधाई।
सभी ताँका बहुत ही मनभावन।शशि पाधा जी के पहले दो ताँका विशेष रूप से पसंद आए।
डॉ अमिता कौण्डल के प्रेरित करते हाइकु मन में नया विश्वास जगाते हैं।
दोनों कवयित्रियों को सुंदर लेखन के लिए बधाई !
ज्योत्सना जी , धन्यवाद |
कृष्णा वर्मा जी , आपका हार्दिक धन्यवाद |
सभी तांका बहुत अच्छे लगे...विशेषकर शशि पाधा जी का अम्बर ओढ़ूं..और अमिता जी का दर्द ने दिया...,दु:ख जो मिले..बहुत अच्छे लगे। बधाई..
रेनु चन्द्रा
धन्यवाद सुशीला जी| यह मेरा तांका लिखने क पहला प्रयास है | उत्साह वर्धन के लिए आभार |
रेनुचन्द्रा जी , आपका बहुत बहुत धन्यवाद |
सभी तांका बहुत बढ़िया हैं...बधाई...।
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