यादें
जो है ज़िन्दगी
!(सेदोका)
1-डॉ जेन्नी शबनम
1
वर्षा की बूँदें
टप-टप बरसे
मन का कोना भींगे,
सींचती रही
यादें खिलती रही
यादें जो है ज़िन्दगी !
2.
जी ली जाती है
पूरी यह ज़िन्दगी
कुछ लम्हें समेट,
पूर्ण भले हो
मगर टीसती है
लम्हे-सी ये ज़िन्दगी !
3
महज नहीं
हाथ की लकीरों में
ज़िन्दगी के रहस्य,
बतलाती हैं
माथे की सिलवटें
ज़िन्दगी के रहस्य !
4
सीली ज़िन्दगी
वक्त के थपेड़ों से
जमती चली गई
कैसे पिघले ?
हल्की-सी तपिश भी
ज़िन्दगी लौटाएगी !
5
शैतान हवा
पलट दिया पन्ना
खुल गई किताब
थी अधपढ़ी
जमाने से थी छुपी
ज़िन्दगी की कहानी !
-0-
तेरे नूर से (ताँका)
1-रचना
श्रीवास्तव
1
राह तकते
हार गईं अब आँखें
सूखी है जिह्वा
बुलाते तेरा नाम
कब आओगे राम ।
2
तेरे अलावा
न पूर्व न ही बाद
कुछ न होता
जो है तुमसे ही है
प्रभु हमारी आस ।
3
जलता सदा
मेरे मन -मन्दिर
भक्ति का दिया
जो है पास हमारे
अर्पित तुझे किया ।
4
सूरज उगा
हुआ जग रौशन
तेरे नूर से
दिखता है करिश्मा
तेरा हर रूप में ।
5
पर्वत पर
बादल सा उतरे
अंकुर बन
धरती से निकले
कण कण में है तू ।
राह तकते
हार गईं अब आँखें
सूखी है जिह्वा
बुलाते तेरा नाम
कब आओगे राम ।
2
तेरे अलावा
न पूर्व न ही बाद
कुछ न होता
जो है तुमसे ही है
प्रभु हमारी आस ।
3
जलता सदा
मेरे मन -मन्दिर
भक्ति का दिया
जो है पास हमारे
अर्पित तुझे किया ।
4
सूरज उगा
हुआ जग रौशन
तेरे नूर से
दिखता है करिश्मा
तेरा हर रूप में ।
5
पर्वत पर
बादल सा उतरे
अंकुर बन
धरती से निकले
कण कण में है तू ।
-0-
4 टिप्पणियां:
जेन्नी जी अर्थपूर्ण सेदोका के लिए बधाई।
भक्तिमय सरस ताँका। रचना जी को बधाई।
शैतान हवा
पलट दिया पन्ना
खुल गई किताब
थी अधपढ़ी
जमाने से थी छुपी
ज़िन्दगी की कहानी !
बहुत खूबसूरत...जेन्नी जी को बधाई...।
सूरज उगा
हुआ जग रौशन
तेरे नूर से
दिखता है करिश्मा
तेरा हर रूप में ।
भक्तिरस में डूबी पंक्तियाँ मन को छू गई...बधाई...।
शैतान हवा
पलट दिया पन्ना
खुल गई किताब
थी अधपढ़ी
जमाने से थी छुपी
ज़िन्दगी की कहानी !..बहुत सहज और सुन्दर ..!!तथा ..
जलता सदा
मेरे मन -मन्दिर
भक्ति का दिया
जो है पास हमारे
अर्पित तुझे किया ।....भक्ति का प्रकाश हमें ही नहीं हमारे आसपास के वातावरण को भी प्रकाशित करता है ...ऐसी ही दीप्त पंक्तियाँ है आपकी ...बहुत बधाई !!
जिंदगी का रहस्य और उसे पार लगाने का उपाय दोनों एक साथ पढने को मिले. जेन्नी जी और रचना जी सुंदर रचनायों के लिए धन्यवाद और बधाई
सादर,
अमिता कौंडल
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