डॉ• अमिता कौण्डल
1
उसी ने तोड़ा
जो दिल में बसा है
आँखों में इक,
दुःख का दरिया है
और सीने में दर्द ।
2
हाथ छुड़ाया,
चुप से चले गए
सोचा न कभी
दुःख के सागर में
अब हम डूबे हैं ।
3
आज तू रूठा
चल दिया चुपके
न जाने कल
तुझको दिखे यह
मेरा चेहरा फिर?
4
खाए जो जख़्म
तब जाना हमने
दर्द दिल का ,
पहले तो पढ़ते
और सुनते ही थे ।
5
न रहा अच्छा
तो न रहेगा बुरा
वक्त भी, यूँही
समय के साथ तू
बहता रह प्राणी
6
जी हर दिन
न केवल काट ये
समय- धागा
बीता समय साथी
लौट कर न आता ।
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4 टिप्पणियां:
सुन्दर सन्देश...
न रहा अच्छा
तो न रहेगा बुरा
वक्त भी, यूँही
समय के साथ तू
बहता रह प्राणी
सभी ताँका बहुत उम्दा, बधाई अमिता जी.
सुन्दर भावाभिव्तक्ति। अमिता जी बधाई।
खाए जो जख़्म
तब जाना हमने
दर्द दिल का ,
पहले तो पढ़ते
और सुनते ही थे ।
बहुत सच बात कही है...। बधाई...।
प्रियंका
मन को छू लेने वाले ताँका ...
जी हर दिन
न केवल काट ये
समय- धागा
बीता समय साथी
लौट कर न आता ।...बहुत गहरी बात ....बहुत बधाई !!
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