1-डॉ.सरस्वती माथुर
पीले सूखे से
पतझड़ के पत्ते
दूर उड़ के
हवा को हैं गुनते
सन्नाटे बुन
सरसर करते
मौसम शुष्क
बसंत की विदाई
तरु है रोता
निपाती हो ठूँठ सा
संत दीखता
कोंपल उगें
पातों से फिर भर
अंग- अंग को
हरा सा कर जाएँ
बहारें लौट आयें
-0-
2-डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा
कहे चंद्रिका-
चन्द्र ,सुनो हो तुम
साथ तुम्हारे
किन सोचों में गुम
पद्मिनी कहाँ
प्रियतम के पास
सुनो चंद्रिका
मेरा मन उदास
सुख क्षणिक
ये हो गया विश्वास
मन चंद्रिका
यूँ हो गई उदास
कहे गीतिका-
भाव ,सुनो हो तुम
साथ तुम्हारे
किन सोचों में गुम
विकल से भाव ने
मचल कहा
होकर नयनों से
सजल कहा
पग पग सजनी
छल का वास
सुनो तो कहूँ
मेरा मन उदास
भाव की कही
हृदय को छू गई
और गीतिका
यूँ उदास हो गई
कहे वर्तिका-
दीप, सुनो हो तुम
साथ तुम्हारे
किन सोचों में गुम
मंदिरों में भी
नहीं प्रभु की आस
सुनो वर्तिका
मेरा मन उदास
सहज स्नेह
कर गया प्रवास
दीप- वर्तिका
यूँ हो गई उदास
दीपित प्रभा उठी
आस- किरन
बस मुस्कुरा उठी
समय चक्र
चले ,यही संदेश
तम में रहे
प्रकाश का प्रवेश
गिनो तो पल
लो ,वसन्त भी आया
मुदित मन
पतझर ने गाया
प्रमुदित- सा
चन्द्र गुनगुनाया
दीप मगन
रही संग वर्तिका
भाव रसिक
है प्रफुल्ल गीतिका
उदासी गई
तो उल्लास हो गया
उजियार- सा
हर मन के आज
आसपास हो गया ।
-0-
3-डॉ.आरती स्मित
झड़ते पत्ते
सुनाते हैं दास्तान
पतझर की—
शिशिर का विषाद!
सुनाती हैं कहानी
मधुमास की—
उन्माद का सवेरा!
सृष्टि- चक्र की
शाश्वत रूपरेखा
होती प्रकट
जीवन- मरण में
ऋतु -चक्र के साथ ।
-0-
4-ज्योतिर्मयी पन्त
झरते पत्ते
ऋतु- परिवर्तन
जीवन भर
हरित सौन्दर्य से
लुभाते मन
झूमें पवन संग .
दिन बदले
पीत पर्ण सूखते
अशक्त जीर्ण .
हिलोर रही हवा
ले उडी संग
मंजिल नहीं पता .
दूर क्षितिज
या वृक्ष तले परे
चरमराएँऋतु- परिवर्तन
जीवन भर
हरित सौन्दर्य से
लुभाते मन
झूमें पवन संग .
दिन बदले
पीत पर्ण सूखते
अशक्त जीर्ण .
हिलोर रही हवा
ले उडी संग
मंजिल नहीं पता .
दूर क्षितिज
या वृक्ष तले परे
माटी में मिल जाएँ
जड़ पोषण
पुनर्जन्म हो जाए
नव पल्लव ,
किसी नदी- तलैया
नाचे ऊर्मि में
चिरैया कोई करे
नीड़ -निर्माण
छोड़ जाते निशान
विदा हों जब
पत्ते शाखाएँ छोड़
सन्देश देते
जो भी हो परिणाम
आएँ दूजों के काम ।
2 टिप्पणियां:
"बसंत की विदाई
"तरु है रोता
निपाती हो ठूँठ सा
संत दीखता !".....पतझड़ के दर्द को दर्शाती डॉ सरस्वती माथुर की भावपूर्ण पंक्तियाँ....उन्हें बधाई ! सभी चोके ठीक हैं !
.... स्वाति
सभी चोका सुन्दर भावपूर्ण। सभी रचनाकारों को बधाई।
कृष्णा वर्मा
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