1-डॉ ज्योत्स्ना शर्मा
1
कल बात कहाँ छोड़ी
सच तक जाती थी
वो राह कहाँ मोड़ी ।
2
नस नस में घोटाला
तन उनका उजला
पर मन कितना काला !
3
कैसे हालात हुए
अब विख्यात यहाँ
श्रीमन् 'कुख्यात' हुए ।
4
कट जाए तम-कारा
खोलो वातायन
मन में हो उजियारा ।
5
दो औ'
दो पाँच नहीं
कहना है कह दे
अब सच को आँच नहीं ।
6
वो पल कब आएँगें
मुदित मना पंछी
जब फिर से गाएँगें ।
7
हम ऐसे मोम हुए
कल चौराहे पर
कुछ सपने होम हुए ।
-0-
2-शशि पाधा
1
दिन आस -निरास भरे
धीरज रख रे मन
सपने विश्वास भरे
2
सूरज फिर आएगा
बादल छँटने दो
वो फिर मुस्काएगा
3
हर दिवस सुहाना है
जीवन उत्सव- सा
हँस -हँस के मनाना है
4
दुर्बल मन धीर धरो
सुख फिर लौटेंगे
इस पल की पीर हरो
5
बस आगे बढ़ना है
बाधा आन खड़ी
साहस से लड़ना है
6
थामो ये हाथ
कभी
राहें लम्बी हैं
क्या दोगे साथ कभी
7
फिर भोर खड़ी द्वारे
वन्दनवार सजे
क्यों बैठे मन हारे
8
नदिया की धारा है
थामों पतवारें
उस पार किनारा है
9
हाथों की रेखा है
खींची विधना ने
वो “कल’ अनदेखा है
10
दिन कैसा निखरा है
अम्बर की गलियाँ
सोना -सा बिखरा है
3-डॉ सरस्वती माथुर
1
यादों की तेज
हवा
मन में थी उमड़ी
बस तेरे लिए दुआ ।
2
सपनो की कश्ती में
साथ चलो मेरे
यादों की बस्ती में ।
3
मन का है तहखाना
तरसें ये नैना
फुर्सत ले आ जाना ।
4
यादों का मेला है
बारिश का मौसम
मन बहुत अकेला है l
5
यादें तो आती हैं
उडके खुशबू- सी
मन को महकाती हैं
l
6
यादों का उजियारा
तपती रेती में
तुम हो बहती धारा l
7
चरखा है यादों का
आँखों में काता
सपना बस वादों का ।
-0-
4 टिप्पणियां:
अच्छे भाव लिए हुए हैं ये माहिया!
bahut sunder mahiya ...कल बात कहाँ छोड़ी
सच तक जाती थी
वो राह कहाँ मोड़ी ।,रखा है यादों का
आँखों में काता
सपना बस वादों का ।,धीरज रख रे मन
सपने विश्वास भरे...panktiya man ko chho gayi.....vidhu
बहुत अच्छे भावात्मक माहिया।
आ उमेश महादोषी जी , विधु शर्मा जी एवं कृष्णा वर्मा जी ..आप सभी का ह्रदय से आभार ..!!
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