1-प्रीत का चटख रंग
पहले रंगो
फिर उतार फेंको
भाए न मुझे
छलिया -सी बहार
पल का प्यार ।
समाके रखो तुम
गहराई से
मन के भीतर यूँ
कि टूटे न ये
किसी भी पहरे से
मौसमी प्यार ।
भिगोकर जाए यूँ
गहरे तक
मन और तन को,
कड़ी धूप भी
सुखा न पाए प्यार ।
ऐसे चढ़े ये
प्रीत का पक्का रंग
उतरे न जो
चाहे लाखों हों जन्म
महके यूँ ही
जैसे फूलों के रंग।
दुआ करूँ मैं
तेरी- मेरी प्रीत का
चटख रंग
यूँ ही फले औ फूले
मिटा न सकें
दुनिया के ये लोग
बेदर्द बेरहम।
-0-
2-रंगरेज हमारा
डॉ. जेन्नी शबनम
डूबने को सूरज
देखो नभ को
नारंगी रंग फैला
मानो सूरज
एक बड़ा संतरा
साँझ की वेला
दीया-बाती जलाओ
गोधूलि- वेला
देवता को जगाओ
ॠचा सुनाओ
अपनी संस्कृति को
मत बिसराओ
शाम होते ही जब
लौटते घर
विचरते परिंदे
गलियाँ सूनी
जगमग रोशनी
वो देखो चन्दा
हौले-हौले मुस्काए
साँझ ढले तो
सूरज सोने जाए
तारे चमके
टिम-टिम झलके
काली स्याही से
गगन रंग देता
बड़ा सयाना
रंगरेज हमारा
सबका प्यारा
अनोखी ये दुनिया
किसने रची !
हर्षित हुआ मन
घर-आँगन
देख सुन्दर रूप
चकित निहारते !
-0-
3-शशि पाधा
दुःख का घड़ा
उड़ेल दिया मैंने
दबा दिया था
आँगन के कोने में
बो दिए यूँ ही
गीली माटी में बीज
चिर सुख के
अंकुरित हो गए
खिले थे फूल
अब जीवन क्यारी
पुष्पित मुस्कान सी ।
-0-
4-रेनू चन्द्रा माथुर
सीने में छुपे
दर्द सुलगते हैं
यादें तुम्हारी
नश्तर चुभाती हैं
क्या कहें तुम्हें
भुला नहीं पाते हैं
तकिया भीगा
बीती हुई बातों से
जब जब भी
पलटे एलबम
गले लगा के
यादों को हम सदा
आँसू ही बहाते हैं।
-0-
सीने में छुपे
दर्द सुलगते हैं
यादें तुम्हारी
नश्तर चुभाती हैं
क्या कहें तुम्हें
भुला नहीं पाते हैं
तकिया भीगा
बीती हुई बातों से
जब जब भी
पलटे एलबम
गले लगा के
यादों को हम सदा
आँसू ही बहाते हैं।
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5-शशि पुरवार
यह जीवन
है गहरा गागर
सुख औ दुःख
गाड़ी के दो पहिये
धूप औ छाँव
सुख के दिन चार
आँख के आँसू
छलते हरबार
जो पाँव तले
खिसकती धरती
अधूरी प्यास
पहाड़ -सा ह्रदय
शोक -विषाद
अत्यंत मंथर हैं
बोझिल पल
वक़्त की रेतघडी
धीमा है पल
संकल्पों का संघर्ष
फौलादी जंग
आगमन -प्रस्थान
अभिन्न अंग
मुट्ठी से फिसलते
सुखद पल
वक़्त का पग -फेरा
बहता जल
पतझर -सा झरे
दुर्गम पथ
बदलता मौसम
भोर के पल
सुनहरी किरण
परिवर्तन
मोहजाल से मुक्त
वर्तमान के
खुशहाल लम्हों का
करो स्वागत
छिटकी है मुस्कान
जीवन में उदित
नया है रास्ता
खुशियों की तलाश
सुनहरी सौगात .
-0-
यह जीवन
है गहरा गागर
सुख औ दुःख
गाड़ी के दो पहिये
धूप औ छाँव
सुख के दिन चार
आँख के आँसू
छलते हरबार
जो पाँव तले
खिसकती धरती
अधूरी प्यास
पहाड़ -सा ह्रदय
शोक -विषाद
अत्यंत मंथर हैं
बोझिल पल
वक़्त की रेतघडी
धीमा है पल
संकल्पों का संघर्ष
फौलादी जंग
आगमन -प्रस्थान
अभिन्न अंग
मुट्ठी से फिसलते
सुखद पल
वक़्त का पग -फेरा
बहता जल
पतझर -सा झरे
दुर्गम पथ
बदलता मौसम
भोर के पल
सुनहरी किरण
परिवर्तन
मोहजाल से मुक्त
वर्तमान के
खुशहाल लम्हों का
करो स्वागत
छिटकी है मुस्कान
जीवन में उदित
नया है रास्ता
खुशियों की तलाश
सुनहरी सौगात .
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5 टिप्पणियां:
bahut bahut shukriya himanshu ji sindhu ji hamen shamil karne ka ..sabhi ke chokha bahut sundar hai , bhavna ji , renu ji , shashi ji ko badhai ....
क्या खूब...बस पढ़ कर आनन्द आ गया...। सभी को बधाई...।
प्रियंका गुप्ता
खुशियों के रंगों में रंगा सब के चोका प्रेरणाप्रद लगे . बधाई
सभी सरस चोका मन खूब को भाए। आप सभी रचनाकारों को बधाई।
कृष्णा वर्मा
चटख रंगों से रंगी रंगरेज की कारीगरी चिर सुख के बीजों के अंकुरित होते ही और भी सुंदर हो गई...टीसती यादों और जीवन के सुख दुख की अभिव्यक्ति ने मन मोह् लिया ....सभी चोका बहुत सुंदर .....बहुत बधाई
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