पुष्पा
मेहरा
1
जग-जीवन
बिन
पतवार-मैं
पाना चाहूँ
साहिल
मँझधार में
बह रही है
नाव
प्रभु तेरा
सहारा।
2
वासना-जल
लिये मन में
फिरूँ
डूबी सदा
तन्द्रा में
सोचा इतना-
निर्मल-सरिता
सी
बहूँ
जग-धारा में।
3
लिए मैं
पानी
उड़ती मैं
हवा-सी
दुर्गम-पथ-हारी
देख आपदा
काँप
गई भय से
हो गई
पानी-पानी।
4
जीवन-जल
डाला था
भाव-भँवर
उठने लगा
ज्वार ,
थामे न थमा
निकला था
वेग ले
प्रवाह बन
बहा ।
-0-
10 टिप्पणियां:
प्रवाहमय मार्मिक सेदोका .
बधाई
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति!
बधाई पुष्पा जी!
~सादर!!!
सुन्दर भावपूर्ण सेदोका...बधाई!
जीवन-प्रवाह की तरल अभिव्यक्ति !
बहुत सुन्दर सेदोका...बधाई...|
प्रियंका
बहुत सुन्दर...प्रवाहमय भावपूर्ण सेदोका.
पुष्पा जी, बधाई!
सुन्दर भावाभिव्यक्ति लिए उत्कृष्ट सेदोका ...बहुत बधाई!
सादर
ज्योत्स्ना शर्मा
बहुत सुन्दर सेदोका ... भाव मय अभिव्यक्ति ...
priya sathiyon va sahyogiyon aplogonki prernapurn tipaniyon
ke liye apsabko dhanyabad.
pushpa mehra.
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति!
बधाई पुष्पा जी!
सादर
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