1-अनिता ललित
1
खोकर जग-मेले में
दिल का चैन लुटा
रिश्तों के खेले में ।
2
मतलब की ये दुनिया
है स्वार्थी रिश्ते
व्याकुल क्यों आज हिया ।
-0-
2-डॉ जेन्नी शबनम
1
मन में जो आस खिली
जीवन में मेरे
अब जाकर प्रीत मिली ।
2
थी अभिलाषा ये मन में
सपने हों पूरे
सारे इस जीवन में ।
-0-
6 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर माहिया हैं...आप दोनों को बधाई...|
थी अभिलाषा ये मन में
सपने हों पूरे
सारे इस जीवन में
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति
बधाई आप दोनों को .
जेन्नी जी...बहुत सुंदर माहिया!
बधाई!
~सादर!!!
कही अनकही जी, मंजू गुप्ता जी... ये मेरे द्वारा लिखे पहले 'माहिया' हैं! प्रोत्साहन के लिए हार्दिक आभार!:-)
~सादर
बहुत सुन्दर माहिया!
आप दोनों को बहुत बधाई!
बहुत सुंदर माहिया! सुंदर अभिव्यक्ति ! आप दोनों को बहुत बधाई!
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