प्रियंका गुप्ता
1
तूने ही मुझे
मुझसे मिलवाया
जीना सिखाया;
दुनिया से हार क्यूँ
खुद हुआ पराया ?
2
आँखों में नमी
चेहरे पे मुस्कान
देख के जाने
दिल का सब हाल
दोस्त की पहचान ।
-0-
सुदर्शन रत्नाकर
1
प्रकृति रुष्ट
लहरों का तांडव
कितना भयानक
टूटे हौंसले
छलछलाती आँखें
बह गये सपने ।
-0-
5 टिप्पणियां:
प्रियंका जी के हाइकु और सुदर्शन जी का सेदोका पढ़कर फ़िराक जी के शब्दों में " दिल को कई कहानियाँ याद आ के रह गई " और आँखों में नमीं आना स्वाभाविक था। मन को कहीं गहराई से छूने वाले शब्द ! लेखक द्वय बधाई स्वीकार करें !
प्रकृति की विनाशलीला का बड़ा मार्मिक चित्रण है सुदर्शन जी के सेदोका में...|
मेरे तांका को स्थान देने के लिए बहुत आभार...|
प्रियंका जी के ताँका तथा सुदर्शन रत्नाकर जी का सेदोका .... मन को भावुक कर गये..!
आप दोनों को हार्दिक बधाई!
~सादर!!!
sundar tanka aur sadoka ...........bhavpurn abhivyakti
भावपूर्ण अभिव्यक्ति
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