डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा
1
सजना का गोरी से
बाँध गई मनवा
चाहत इक डोरी से ।
2
क्या फूल यहाँ महकें
ज़हर हवाओं में
पंछी कैसे चहकें ।
3
ये रात बहुत काली
है कितना गाफिल
इस बगिया का माली ।
4
गुलज़ार कतारें थीं
ख़्वाब तभी टूटा
जब पास बहारें थीं ।
5
रुख मोड़ लिया हमने
कल की बातों को
कल छोड़ दिया हमने ।
6
हर दिन अरदास करूँ
कौन यहाँ,
कान्हा !
मैं जिसकी आस करूँ ।
7
हम इतना याद करें
रुकतीं
ना हिचकी
वो फिर फ़रियाद करें ।
10 टिप्पणियां:
" रुख मोड़ लिया हमने / कल की बातों को / कल छोड़ दिया हमने।"
सभी माहिया बहुत खूबसूरत हैं और जीवन के विभिन्न पक्षों से जुड़े हुए हैं ! ज्योत्स्ना जी आपको हार्दिक बधाई और शुभकामनायें !
kya phool yahaan mahaken, zahar hawaaon me.......,
ye raat bahut kaali hai..............,
rukh mod liyaa hamne...........
bahut sundar , Badhaai
pushpa mehra
वाह! बहुत खूबसूरत भाव लिए हुए माहिया...
~सादर!!!
क्या फूल यहाँ महकें
ज़हर हवाओं में
पंछी कैसे चहकें ।
सभी माहिया बहुत सुन्दर...ज्योत्स्ना जी बधाई!
सभी माहिया बहुत खूबसूरत हैं ।ज्योत्स्ना जी आपको हार्दिक बधाई और शुभकामनायें !
क्या बात है...! सभी माहिया बहुत खूबसूरत हैं...| पर कुछ तो बहुत पसंद आए...जैसे ये...
गुलज़ार कतारें थीं
ख़्वाब तभी टूटा
जब पास बहारें थीं ।
और ये बहुत सकारात्मक है...
रुख मोड़ लिया हमने
कल की बातों को
कल छोड़ दिया हमने ।
बधाई...|
प्रियंका गुप्ता
aa Subhash Chandra Lakhera ji ,Pushpa Mehra ji , Anita ji , Krishna ji ,Sushila ji evam प्रियंका जी ...आपकी स्नेह और आशिष से भरी उपस्थिति के लिए ह्रदय से आभारी हूँ ...सदा इस सद्भाव की कामना है |
सादर
ज्योत्स्ना शर्मा
wahh umda rachnaye ..gahre or sundar bhaw liye huye .. badhayi :)
गुलज़ार कतारें थीं
ख़्वाब तभी टूटा
जब पास बहारें थीं ।
bahut gahti baat kahi hai sabhi ke bhav itne sunder hain ki kya kahen
badhai
rachana
Sunita Agarwal ji evam Rachana ji ..आपकी सुखद प्रतिक्रिया हेतु ह्रदय से आभार ..:))
सादर
ज्योत्स्ना शर्मा
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