1-शशि पुरवार
1
बहता पानी
विचारो की रवानी
हसीं ये जिंदगानी
संझा
-बेला में
परिवार का साथ
ज्यों संस्कारों के हाथ ।
2
हाथों
में छैनी
तिरते है विचार
बेजोड़
शिल्पकारी
गढ़े आकार
माथे पे स्वेद बिन्दु
शिला हुई जीवन्त ।
3
जग
कहता-
है पत्थर के पिता
समेटे परिवार
कुटुंब खास
प्यार का झरे पानी
पिता की है कहानी ।
-0-
1-डॉ सरस्वती माथुर
1
पानी- सा मन
मौसम में घुल के
टपकता ही रहा
बूँदें छ्नकीं
गौरी के पायल सी
चूड़ियाँ भी खनकी
-0-
पानी- सा मन
मौसम में घुल के
टपकता ही रहा
बूँदें छ्नकीं
गौरी के पायल सी
चूड़ियाँ भी खनकी
-0-
8 टिप्पणियां:
पानी के सन्दर्भ में लिखे सभी सेदोका मनभावन हैं। शशि जी और सरस्वती जी, आप दोनों को हार्दिक बधाई !
बहुत सुंदर!
पिता के बारे में तो बिल्कुल सही बात कही...
शशि जी, सरस्वती जी... आप दोनों को हार्दिक बधाई!:)
~सादर
सभी सेदोका अच्छे हैं...बधाई...|
प्रियंका
'pyar ka jhare paani' main aapne parivaar aur samaaj ke sambandh sutron ko bakhubi prem jal se sarabor kiya hai
Badhaai shashi ji
Pushpa mehra
Dr. saraswati Mathur ji,
Paanii sa man ki panktiyaan man ko paani me.n sahaj hi bhigo gaiin. badhaai
pushpa mehra
हाथों में छैनी
तिरते है विचार
बेजोड़ शिल्पकारी
गढ़े आकार
माथे पे स्वेद बिन्दु
शिला हुई जीवन्त ।
lajavab likha hai shila hui jivant bahut sunder
पानी- सा मन
मौसम में घुल के
टपकता ही रहा
बूँदें छ्नकीं
गौरी के पायल सी
चूड़ियाँ भी खनकी
nice bunden gori ki payal si sunder upma
rachana
पिता की कहानी ..और ..पानी सा मन ....सुन्दर भाव लिए बहुत सुन्दर सेदोका ...शशि जी और सरस्वती जी को हार्दिक बधाई !
सादर
ज्योत्स्ना शर्मा
सभी सेदोका बहुत भावपूर्ण और अर्थपूर्ण. शशि जी और सरस्वती जी को बधाई.
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