रविवार, 28 जुलाई 2013

जो कुछ बोया है


सुदर्शन रत्नाकर
1
बादल ये बरसे हैं
धरती भीग गई
सबके मन सरसे हैं
2
सपने तो सपने हैं
दु:ख में  साथ हें
वे ही तो अपने हैं
3
अम्बर में तारे हैं
दुनिया सोती है
ये दुख के मारे हैं
4
लो  चिड़िया चहकी है
तुम जो आए तो
यह बगिया महकी है
5
ईश्वर की माया है
जो कुछ बोया है
वो ही तो  पाया है

-0-

4 टिप्‍पणियां:

Subhash Chandra Lakhera ने कहा…

" ईश्वर की माया है/ जो कुछ बोया है/ वो ही तो पाया है।".. बेहतरीन .....सभी माहिया प्यारे हैं.....सुदर्शन जी, हार्दिक बधाई!

ज्योति-कलश ने कहा…

सुन्दर भावों से भरे मोहक माहिया ...बहुत बधाई !!

सादर
ज्योत्स्ना शर्मा

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

सपने तो सपने हैं
दु:ख में साथ रहें
वे ही तो अपने हैं ।
बहुत अच्छा...सभी माहिया प्रभावशाली हैं...बधाई...|

प्रियंका

Manju Gupta ने कहा…

लो चिड़िया चहकी है
तुम जो आए तो
यह बगिया महकी है ।

वाह माहिया की बगिया महक रही है !

बधाई