अनिता ललित
मन में खिले
जब नेह के फूल
सुरभि बहे
रेशमी पगडंडी
भाई औ बहन के
दिलों के बीच !
पा निःस्वार्थ फुहार,
आस्था -विश्वास,
अपार उत्साह के
मीठे बोलों से
महके गुलशन !
रिश्ता अनूठा
ये भाई-बहन का
सबसे प्यारा
है कितना पावन !
ना दरकार,
'नाम' के बंधन की
लहू-निशाँ की,
ना ही सरहद की!
दिलों से बहे,
है दिलों पे निसार
रस की धार
ये प्रेम अनुभूति
है अनमोल !
दो दिलों का बंधन
"रक्षा-बंधन"
नहीं है मोहताज
किसी भी दिन,
किसी अवसर का,
इसको बाँधे
निःस्वार्थ आलौकिक
पावन दिल-डोर !-0-
6 टिप्पणियां:
अनिता ललित जी, रक्षा बंधन के पावन त्यौहार से जुड़ा आपका चोका बहुत सुन्दर हैं। आपको रक्षा बंधन की शुभकामनाएं देते हुए मुझे यही कहना है,"स्नेह बंधन / बहन का संदेश / निभाना भाई।"
उत्कृष्ट रचना
बहुत खूब...हार्दिक बधाई...|
प्रियंका
सुन्दर मोहक भावनाओं से भरा बहुत सुन्दर चोका ....बहुत बधाई ...शुभ कामनाएँ !!
सराहना तथा प्रोत्साहन के लिए आप सभी का हार्दिक धन्यवाद व आभार !:-)
~सादर!!!
सुभाष भैया जी... आपकी विशेष स्नेहमयी टिप्पणी का दिल से बहुत-बहुत आभार!
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
~सादर
आपकी बहन
अनिता
एक टिप्पणी भेजें