सुभाष लखेड़ा
जीवन क्या है
पुराना सवाल है
कई जवाब
देते रहे हैं लोग
फलस्वरूप
पनपे कई मत
मिला न सत
हम वहीं खड़े हैं
लगता यही
इसमें न उलझें
जीवन जिएँ
करें हमेशा हम
परोपकार
यही बड़ा पुण्य है
नहीं दें पीड़ा
वह बड़ा पाप है
महापुरुष
सभी धार्मिक ग्रन्थ
कहते यही
सेवा सच्चा धर्म है
जीवन का मर्म है।
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5 टिप्पणियां:
जीवन जीने की कला सिखाता बहुत सुन्दर चोका ...हार्दिक बधाई |
सादर !!
wahh jiwan darshan ..sundar choka .. shubhkamnaye ..:)
subhash ji apaka choka jeevan ki sarthtkataka sunder lekhan hai. badhai.
pushpa mehra.
zindagi ke prati bohot uttam soch lakheraji.....bohot sundar choka!!!!!
बहुत अच्छा चोका है...बधाई...|
प्रियंका गुप्ता
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