अनिता ललित
1
पीछे आग सुलगती
आगे राह धुआँ
जीवन-आस न जगती!
2
रोती बेबस आँखें
कहतीं करुण कथा
साँसें गरम
सलाखें !
3
समझा जिसको अपना
मन-दर्पण जैसा
निकला टूटा सपना
!
4
रिश्ते भी हैं
फ़ानी
सूखे दरिया से
छलके कैसे पानी!
-0-
6 टिप्पणियां:
anil ji aapke sabhi mahiya bahut sundar hai समझा जिसको अपना
मन-दर्पण जैसा
निकला टूटा सपना ! .sundar
aur 4 bhi mujhe bahut pasand aaya hardik badhai aapko
सभी माहिया बहुत सुन्दर....अनीता जी बधाई!
बहुत सुन्दर माहिया...बधाई...|
प्रियंका गुप्ता
" रोती बेबस आँखें / कहतीं करुण कथा / साँसें गरम सलाखें!"
बहुत सुन्दर सभी माहिया..अनिता ललित जी, बधाई!
शशि जी, कृष्णा जी, कही अनकही जी... सराहना व प्रोत्साहन के लिए आप सभी का बहुत-बहुत आभार..... :-)
~सादर!!!
रोती बेबस आँखें
कहतीं करुण कथा
साँसें गरम सलाखें !
बहुत खूब माहिया .
बधाई .
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