-डॉ सरस्वती माथुर
राखी पर्व पे
भाई की मनुहार -
आ री बहना
खींचें है बहिन को
भाई का प्यार
मखमली -से धागे
बहिन बाँधे
भाई की कलाई पे
तो बँधें मन
आशीर्वाद दे भाई
भीगी आँखों से-
खुश रह बहना
बहिन कहे -
आ तिलक लगा दूँ
लेके बलैया भैया !
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4 टिप्पणियां:
सुन्दर भावाभिव्यक्ति ....बहुत बधाई !!
आपकी यह रचना कल बुधवार (21
-08-2013) को ब्लॉग प्रसारण : 92 पर लिंक की गई है कृपया पधारें.
सादर
सरिता भाटिया
डॉ सरस्वती माथुर जी, रक्षा बंधन के पावन त्यौहार से जुड़ा आपका चोका बहुत सुन्दर हैं। आपको रक्षा बंधन की शुभकामनाएं देते हुए मुझे भी यही कहना है," रक्षा बंधन / कोई बंधन नहीं / यह फ़र्ज है। "
भावपू्र्ण चोका सरस्वती जी बधाई!
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