1-डॉ जेन्नी शबनम
1
पावन पर्व
दुलारा भैया आया
रक्षा बंधन
बहन ने दी दुआ
बाँध रेशमी राखी।
2
राखी त्योहार
सुरक्षा का वचन
भाई ने दिया
बहना चहकती
उपहार माँगती ।
3
राखी का पर्व
सावन का महीना
पीहर आई
नन्हे भाई की दीदी
बाँधा स्नेह का धागा ।
4
आँखों में पानी
बहन है पराई
कलाई सूनी
कौन सजाये अब
भाई के माथे रोली ।
5
पूरनमासी
सावन का महीना
राखी त्योहार
रक्षा-सूत्र ने बाँधा
भाई-बहन नेह ।
6
घर परिवार
स्वागत में तल्लीन
मंगल पर्व
राखी-रोली-मिठाई
बहनों ने सजाई।
7
शोभित राखी
भाई की कलाई पे
बहन बाँधी
नेह जो बरसाती
नेग भी है माँगती ।
8
प्यारा बंधन
अनोखा है स्पंदन
भाई-बहन
खुशियाँ हैं अपार
आया राखी त्योहार ।
9
चाँद चिंहुका
सावन का महीना
पूरा जो खिला
भैया दीदी के साथ
राखी मनाने आया ।
10
बहन भाई
बड़े ही आनंदित
नेग जो पाया
बहन से भाई ने
राखी जो बँधवाई ।
-0-
2- सुशीला शिवराण
1
1
अक्षत-रोली
सजाओ पूजा -थाल
ले आओ राखी
मेरी प्यारी बहना
तू घर का गहना ।
2
बने व्यंजन
खुश भाई-बहन
रखड़ी आई
भाई लाए तोहफ़ा
तो बहन मिठाई ।
-0-
सजाओ पूजा -थाल
ले आओ राखी
मेरी प्यारी बहना
तू घर का गहना ।
2
बने व्यंजन
खुश भाई-बहन
रखड़ी आई
भाई लाए तोहफ़ा
तो बहन मिठाई ।
-0-
3-डॉ सरस्वती माथुर
1
मन को जोड़ा
घोल के मधुरस
राखी आई
आशीष देता भैया
बहिन ले बलैया
2
दिल जुड़ेगा
राखी के स्नेह तार
निरखे भैया
बाँधती बहिन तो
रसपगे तारों से
3
भाव पावन
रसपगा सावन
बँधेगा मन
स्नेह बरसा कर
राखी के पर्व पर
4
अनुभूति से
आस्था के पर्व पर
भाई- बहिन
रसधार में भीगे
राखी त्योहार पर
5
भाई के नैन
सात सागर पार
राखी पर्व पे
भर- नीर बहाए
बहना याद आये
-0-
4-रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
1
खुशी छलकी
पलक कोर पर
ढुलक आई ।
बूँदें गगाजल की
द्वारे पहुँचा भाई ।
2
टीका लगाया
भाई का भाल सजा
दमका रूप
बरसा नेह -घन
झरा प्रेम सघन ।
3
रक्षा के धागे
बँधे जब कलाई
मुदित भाई
गुंजरित आशीष
गूँजती गुरबानी ।
-0-
5-डॉ मिथिलेश दीक्षित
आ गया पर्व
भाई के उल्लास का
नई आस का
एक अंकुर उगा
मन में विश्वास का ।
-0-
सेदोका
1-डॉ मिथिलेश दीक्षित
1-डॉ मिथिलेश दीक्षित
1
तुम्हें खोजने
दूर क्षितिज तक
जाती बिन पाँखों से
रक्षाबन्धन
सावन बनकर
बहता है आँखों से ।
2
दूर देश में
सुखप्रद इतना
कल आया सपना
लिये खड़ी थी
राखी और आशीष
मेरी प्रिय बहना ।
3
प्रिय भाई की
सूनी देख कलाई
प्राणों से धुन आई
हुई भूल क्या
जो सुधि बिसराई
बहना अकुलाई ।
-0-
2-शशि पुरवार
2-शशि पुरवार
1
स्नेह प्रतीक
बंधा है मणिबंध
रेशम के तागे से
रक्षाकवच
अटूट है बंधन
बहिन का भाई से ।
2
सजी रंगोली
किया है अनुष्ठान
पूजा व्रत विधान
भाई के नाम
ईश्वर से कामना
सर्वथा संरक्षित ।
3
भैया मोरे तू
रिश्ते की ये प्रतिष्ठा
अब तेरे ही हाथ
रक्षाकवच
सदा रहेगा साथ
स्नेहिल ये बंधन ।
-0-
7 टिप्पणियां:
वाह | एक से बढ़ कर एक |
सभी तांका और सेदोका बहुत सुन्दर।
कृष्णा वर्मा
राखी पर्व की शुभकामनाएं
भाव पावन
रसपगा सावन
बँधेगा मन
स्नेह बरसा कर
राखी के पर्व पर
यह तांका मन मोह ले गया !
स्वाति
सभी को इस पर्व की बहुत बधाई और शुभकामनाएँ.
सभी की मनभावन सर्वोत्तम प्रस्तुति लगी .
सभी रचनायें बहुत भावपूर्ण हैं कहीं पर तो आँखे सजल हों आईं,सभी लेखकों को हार्दिक बधाई...
क्या खूब...एक से बढ़ कर एक...राखी पर इससे ज्यादा खुबसूरत तोहफ़ा और क्या होगा...।
प्रियंका गुप्ता
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