बुधवार, 1 अगस्त 2012

रक्षाबन्धन


1-डॉ ज्योत्स्ना शर्मा
रक्षाबंधन
स्नेह अभिनंदन
प्रेषित की हैं
पाती नाम तुम्हारे 
ओ भैया प्यारे
बाँचो भाव हमारे
नैनों से दूरी
समझो मजबूरी
आने का मन
है घर का बंधन
तेरी कलाई
ना रह जाये सूनी
रेशम डोर
संग दुआएँ दीनी
अक्षत आशा
है कुंकुम विश्वास
नयन जल
भीगा तिलक सजा
मुस्कान नहीं
पर मन से गाया
मंगल गान
सब सुख -खुशियाँ
हर्ष अपार
हो, मन उजियार
स्वस्थ जीवन
स्नेही हों परिजन
सजे कलाई
रेशम धागा बाँध
प्यारी सी मेरी
मृदु बातों, यादों की
लो स्वीकार मिठाई ।
-0-
2-रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
रस निचोड़
जग-पावनता का
बहन बनी
सुमनों का सौरभ
हीरे की कनी
आरती -सी मधुर
दीप की ज्योति
भाव हैं छलकते
नेह -सम्बाल
टीका जब लगाए
सूर्य शर्माए
फुहार की तरह
बरस पड़ीं
थी शुभकामनाएँ
एक बार नहीं
सौ- बार ये जीवन
बहन-हित
खुशी-खुशी लुटाएँ
फूल बिछाएँ
यह पावन दिन
हर पल मनाएँ
-0-
3-डॉ सरस्वती माथुर
राखी पर्व पे
भाई करें मनुहार
आ री बहना
खींचें हैं बहिन को
भाई का प्यार
मखमली से धागे
बहिन बाँधे
भाई की कलाई पे
तो बँधें मन
आशीर्वाद दे भाई
भीगी आँखों से
खुश रह बहना
बहिन कहे -
आ तिलक लगा दूँ
लेके बलैया भैया !
-0-
4 - सुशीला शिवराण


सुनो कहानी
चित्तौड़ की रानी की
कर्णवती थी
नाम के अनुरूप
दिव्य-सुंदरी

खूब थी वो सयानी
मान बड़ा था
राजपूती आन पे
देती थी जान
अपने चित्तौपड़ पे
एक सुल्तान
था, बहादुरशाह
खोटी नीयत
चित्तौड़ को हड़प
रानी को पाऊँ
यही सोच दुष्‍ट ने
सेना सजाई
रानी कर्णवती थी
खूब सयानी
बचाना था चित्तौड़
खोज ली युक्ति
विश्वासपात्र -हाथ
भेज दी राखी
मुसलमाँ भाई को
दिल्ली के ताज़
साहसी हुमायूँ को
पाकर राखी
वे भूले जाँत-पाँत
करने रक्षा
किया सेना ने कूच
पहुँचे जब
हारा हुआ चित्तौड़
जल रहा था 
फैली थीं लपटें
कर्णवती भी
क्षत्राणियों के संग

कूदी अग्नि में
राजपुताना -आन
बचाने हेतु
कर लिया जौहर
देख दुश्मन
रह गया  विस्मित
मुगल सेना
आ पहुँची चित्तौड़
सुन खबर
हो रिपु भयातुर
लौटा स्वदेश
पछताए हुमायूँ
क्यों हुई देर
बहन की रक्षा मैं
कर न पाया
अपना वायदा भी
निभा ना पाया
बहन का बेटा था
विक्रमजीत
सिंहासन बिठाया
राजतिलक
करके हुमायूँ ने
संतोष पाया
रक्षाबंधन की ये
सच्ची है कथा
स्नेह की डोर बाँधे
अनजानों को
हिंदू-मुसलमाँ को
ऐसी महिमा
है स्नेह की डोर की
रक्षा के बंधन की।
 -0-

5 टिप्‍पणियां:

Rajesh Kumari ने कहा…

सभी रचनाएं एक से बढ़कर एक हैं रक्षाबंधन की शुभकामनायें

बेनामी ने कहा…

सभी रचनाएं बहुत खूबसूरत। भाई-बहन के स्नेह बंधन की भावपूर्ण अभिव्यक्ति।
हिमांशु जी के बहनों के प्रति इतने स्नेह सम्मान भरे भाव मन को गहरे छुए।
सभी रचनाकारों को बधाई।
कृष्णा वर्मा

Dr.Bhawna Kunwar ने कहा…

सभी रचनायें बहुत भावपूर्ण हैं, सभी लेखकों को हार्दिक बधाई...

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

बहुत भावपूर्ण...दिल से लिखी रचनाएँ दिल तक पहुँची...। बधाई...।

प्रियंका गुप्ता

डॉ. जेन्नी शबनम ने कहा…

सभी चोका बहुत खूबसूरत और भावुक. सभी को शुभकामनाएँ.