5-बेरंग सावन
-मंजु गुप्ता
वर्षा की झड़ी
करती मन खिन्न
गिरी दामिनी
मेरे मनोभावों पे
करे प्रहार
म्लान लगे प्रकृति
ताना दे फूल
शापित लगे जग ।
शूल चुभाते
भूला न पाती छवि
पी मिलन की
हे मेघ ! ले जा
विरह का संदेशा
पिया के पास
सतरंगी सावन
लगता है बेरंग ।
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6- पगलाया बारिश का मौसम
- रेनु चन्द्रा
पानी बरसा
- रेनु चन्द्रा
पानी बरसा
बरसता ही रहा
बरसात ने
फिर कहर ढाया
जलमग्न हो
डूबा शहर सारा ,
सड़कें बनीं
बहती हुई धारा ।
।छतें हैं टूटीं
बरबाद हैं घर
जन-जीवन
बरसात ने
फिर कहर ढाया
जलमग्न हो
डूबा शहर सारा ,
सड़कें बनीं
बहती हुई धारा ।
।छतें हैं टूटीं
बरबाद हैं घर
जन-जीवन
गया सब बिखर
मुझे यूँ लगा
पगलाया शायद
बारिश का मौसम।
-0-
मुझे यूँ लगा
पगलाया शायद
बारिश का मौसम।
-0-
7-ओ काले मेघा
-दिलबाग विर्क
प्यासी धरती
तड़पे दिन रात
ओ काले मेघा !
सुनो जरा पुकार
छा जाओ तुम
ढक लो आसमान ।
चाहते सभी
ठंडी-ठंडी फुहार
हो हरियाली
पात-पात मुस्काए
सूनी धरा का
कर देना उद्धार
तपन मिटे
मादकता छा जाए ।
अंग- अंग पे
चढ़े नया खुमार
ओ काले मेघा
ओ काले मेघा
बरसो छ्माछ्म
देना ये उपहार ।
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(प्रस्तुति-रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’)
2 टिप्पणियां:
सामायिक विषय वर्षा पर सभी की रचनाएँ संदर मनोभावों को व्यक्त करती हैं . बधाई .
सभी चोका सुन्दर भावाभिव्यक्ति।
कृष्णा वर्मा
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