शशि पाधा ,नार्थ केरोलिना ( यू एस)
1
शबनम के गहने हैं
नभ ने भेजे हैं
धरती ने पहने हैं ।
2
तुम कैसे मानोगे
पीड़ा मौन रही
तुम कैसे जानोगे ।
3
आँगन की तुलसी है
मेघा ना बरसे
अकुलाई, झुलसी है ।
4
परदेसी आए ना
विरहन की बगिया
कोयल भी गाए ना ।
5
मोती की कुछ लड़ियाँ ।
छलकीं नैनों से
यादों की वो घड़ियाँ ।
6
सावन का फेरा है
सूने नैनों को
यादों ने घेरा है ।
7
वीणा के तार बजे
तुम जो आए हो
रातों को चाँद सजे ।
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2 टिप्पणियां:
आपकी इस उत्कृष्ट प्रस्तुति की चर्चा कल मंगलवार ७/८/१२ को राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच पर की जायेगी आपका स्वागत है |
sunder.......
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