बुधवार, 15 अगस्त 2012

रानी लक्ष्मीबाई (चोका )


सुशीला शिवराण

स्वाधीनता का
था पहला संग्राम
सत्तावन में
बजी थी रणभेरी
झाँसी की रानी
अनोखी जो मिसाल
देशभक्‍ति की
क्या खूब वो मर्दानी
तांत्या टोपे को
लेके अपने साथ
बाँध शिशु को
अपनी पीठ पर
कूद पड़ी थी
आज़ादी के रण में
दिव्य तेज था
झाँसी जान से प्यारी
अस्‍त्र-शस्‍त्र में
थी बहुत निपुण
भीषण युद्ध
ह्‍यूरोज़ घबराया
गया, लौटा वो
लेके असला
और दुगुनी फ़ौज
टूट पड़ा रानी पे
नारी सेना ने
ऐसा शौर्य दिखाया
भौंचक्‍क शत्रु
तोप, गोलियों साथ
लड़ रहा था
किंतु निर्भय रानी
वो रणचंडी
शत्रु को काट रही
ले तलवार
रण यह
भीषण
लड़ा गया था
झाँसी की आज़ादी का
छुड़ाए छक्‍के
अंग्रेज़ हक्‍के-बक्‍के
टूट पड़े वे
मिलकर रानी पे
ज़ख्‍मी रानी को
लेकर
दौड़ा घोड़ा
कर न पाया
वह नाले को पार
आया करीब
दुश्‍मन पीछे-पीछे
दबे पाँव था
कहा लक्ष्मीबाई ने
ओ झलकारी !
देखो वह कुटिया
उसमें चलो
जलाओ मेरी चिता
शत्रु तन को
देखो छू भी न पाए
कैदी नहीं मैं
मरूँगी आज़ाद ही
न्यौछावर जां

करके  जाऊँगी मैं
अपनी झाँसी पे
झलकारी ने शीघ्र
माना रानी का
आखिरी वो आदेश
लगाई आग
धू-धू जलती चिता
देख अंग्रेज़
रहे मलते हाथ
दिव्य ज्योति वो
मिली दिव्य ज्योति से
बनी मिसाल
वह देश-प्रेम की
नमन तुम्हें
सुनो ओ वीरांगना
मेरी तुम आराध्या !
-0-


5 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना सुष..
यूँ भी हम लोगों के मासूम दिलों पर बड़ी गहराई से लिखा हुआ नाम है...'' झाँसी की रानी लक्ष्मी बाई ''
.बेहद सुन्दर..सार्थक पोस्ट..:)

satishrajpushkarana ने कहा…

बहुत सुन्दर चोका , देश-प्रेम की भावना से ओतप्रोत ! बधाई सुशीला जी !

गीता पंडित ने कहा…

बधाई सुशीला जी ..
आज के दिन मनु को याद करने के लियें ..

बहुत सुंदर ..

सस्नेह

Unknown ने कहा…


MHAN KRATIKARI JHANSI KI RANI LAKHMI BAI KE YUDH KAUSHAL KA SUNDER CHITRAN KARTI DESH BHAKTI KA BHAW LIYE KHOOBSURAT CHOKA,SHUSHEELA JI BADHAI HO.

ज्योत्स्ना शर्मा ने कहा…

बहुत सुंदर ..ओजस्वी प्रस्तुति ....महान वीरांगना के साथ साथ ...आपको और आपकी लेखनी को नमन