शुक्रवार, 9 अक्टूबर 2015

हम शांत किनारे हैं।



1-कृष्णा वर्मा
1
पतझड़ यह समझाए
विधना के हाथों
कोई बच ना पाए।
2
पत्तों का रुदन बढ़ा
अब रुकना कैसा
पतझड़ बेचैन खड़ा।
3
लाया पतझड़ डोली
ल्दी कुमकुम से
रँग दी पल्लव -झोली।
4
पत्ते जब घर खोते
डर से ज़र्द हुए
सर धुनकर के रोवें।
5
ये मौत हसीन करो
सूखे पत्तों-से
हर पल रंगीन करो।
-0-
2-अनिता मंडा
1
तुमने जो बोल कहे
आन लगे दिल में
नैनों से नीर बहे।
2
ये जख़्म छुपाने हैं
राह दिखाओ तुम
हम तो दीवाने हैं।
3
सुख -दुख  के धारे हैं
क्यों बहना हमको
हम शांत किनारे हैं।
4
सूरज -सा फूल खिला
जागा जग सारा
किरणों का साथ मिला।
5
मोती- से बिखर गए
आँखों से निकले
कुछ ज्यादा निखर गए।
6
खुशियों के फूल खिले
भूल गए शिकवे
जब तुम यूँ आन मिले।
7
मन बगिया महक रही
टूटे वीराने
अब चिड़िया चहक रही।
8
लाडो परदेस बसे
सूना ये सावन
मिलने को मन तरसे।
9
सजदे में शीश झुका
खारा-सा पानी
पलकों पर आन रुका।
-0-

17 टिप्‍पणियां:

मंजूषा मन ने कहा…

सुन्दर और सुरीले माहिया कृष्णा जी एवं अनीता जी।

बहुत बहुत बधाई

Manju Gupta ने कहा…

सभी उत्कृष्ट माहिया कृष्णा जी एवं अनीता जी।

बधाई

Sudershan Ratnakar ने कहा…

कृष्नाजी,अनिताजी सुंदर उत्तम माहिया। बधाई।

Dr. Surendra Verma ने कहा…

मनभावन माहिया सुरेन्द्र वर्मि

Anita Manda ने कहा…

आदरणीय संपादक द्वय मेरे माहिया को यहां स्थान देने के लिए बहुत शुक्रिया।
मंजूषा जी, मंजू जी ,सुदर्शन जी, डॉ. सुरेन्द्र वर्मा जी उत्साह बढ़ाने के लिए आभार।
कृष्णा जी नवीन बिम्ब प्रस्तुत करते सुरीले माहिया अच्छे लगे।बधाई।

Krishna ने कहा…

सजदे में शीश झुका
खारा सा पानी
पलकों पर आन रुका।

बहुत सुन्दर माहिया अनीता जी....बधाई।

सविता अग्रवाल 'सवि' ने कहा…

कृष्णा जी सभी माहिया उत्तम हैं विशेषकर पतझड़ ये समझाए ....और ये मौत हसीं करो ने मन को छुआ |हार्दिक बधाई |अनीता जी आपके भी माहिया उत्कृष्ट हैं ये ज़ख्म छुपाने है और सुख दुःख के धारे हैं ...बहुत खूब लिखे हैं |आपको भी हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई |

Jyotsana pradeep ने कहा…

लाया पतझड़ डोली
हल्दी कुमकुम से
रँग दी पल्लव -झोली।

मोती- से बिखर गए
आँखों से निकले
कुछ ज्यादा निखर गए।bahut sundar saare hi mahiya! ..par..."laya patjhar",,mein aashavadita ke bade manmohak rang ukere hai krishna ji/..... badhai!
anita ji ..dukh mein aansu nikharene ke baad hi manav punah taiyaar karta hai svyam ko...yahi nikharan sukhad hain..jo, aansu mein nihit hai...badhai!
badi khoobsurtee ke saath sunder sandedh ..aap dono ki lekhni ko sadar naman!



Amit Agarwal ने कहा…

Sundar Mahiya!

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (11-10-2015) को "पतंजलि तो खुश हो रहे होंगे" (चर्चा अंक-2126) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

Anita Lalit (अनिता ललित ) ने कहा…

सभी माहिया एक से बढ़कर एक ! बहुत सुंदर !
हार्दिक बधाई कृष्णा दीदी एवं अनीता !

~सादर
अनिता ललित

kashmiri lal chawla ने कहा…

बहुत खूब!

Dr.Purnima Rai ने कहा…

कृष्णा जी एवं अनीता जी
लाजवाब उम्दा सृजन !
बधाई स्वीकारें !!!

Onkar ने कहा…

उत्कृष्ट प्रस्तुति

रश्मि शर्मा ने कहा…

Bahut sundar prastuti..

Dr.Bhawna Kunwar ने कहा…

sabhi mahiya achhe lage meri badhai svikaren..

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

बहुत प्यारे माहिया...बधाई...|