बुधवार, 21 अगस्त 2013

महके गुलशन !

अनिता ललित

मन में खिले
जब नेह के फूल
सुरभि बहे
रेशमी पगडंडी
भाई औ बहन के 
दिलों के बीच !
पा निःस्वार्थ फुहार,
आस्था -विश्वास,
अपार उत्साह के
मीठे बोलों से
महके गुलशन !
रिश्ता अनूठा
ये भाई-बहन का
सबसे प्यारा
है कितना पावन !
ना दरकार,
'नाम' के बंधन की
लहू-निशाँ की,
ना ही सरहद की!
दिलों से बहे,
है दिलों पे निसार
रस की धार
ये प्रेम अनुभूति
है अनमोल !
दो दिलों का बंधन
"रक्षा-बंधन"
नहीं है मोहताज
किसी भी दिन,
किसी अवसर का,
इसको बाँधे
निःस्वार्थ आलौकिक

पावन दिल-डोर !-0-

6 टिप्‍पणियां:

Subhash Chandra Lakhera ने कहा…

अनिता ललित जी, रक्षा बंधन के पावन त्यौहार से जुड़ा आपका चोका बहुत सुन्दर हैं। आपको रक्षा बंधन की शुभकामनाएं देते हुए मुझे यही कहना है,"स्नेह बंधन / बहन का संदेश / निभाना भाई।"

Lekh Nath ने कहा…

उत्कृष्ट रचना

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

बहुत खूब...हार्दिक बधाई...|
प्रियंका

ज्योति-कलश ने कहा…

सुन्दर मोहक भावनाओं से भरा बहुत सुन्दर चोका ....बहुत बधाई ...शुभ कामनाएँ !!

Anita Lalit (अनिता ललित ) ने कहा…

सराहना तथा प्रोत्साहन के लिए आप सभी का हार्दिक धन्यवाद व आभार !:-)

~सादर!!!

Anita Lalit (अनिता ललित ) ने कहा…

सुभाष भैया जी... आपकी विशेष स्नेहमयी टिप्पणी का दिल से बहुत-बहुत आभार!
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...

~सादर
आपकी बहन
अनिता