शुक्रवार, 22 फ़रवरी 2013

उधारी साँसें


कृष्णा वर्मा
1
घुमेर सी मैं
सोचों के भँवर में
नाची, जानी ना
नट सा रस्सी पर
चलना ही जीवन।
2
जीवन लगे
कोई गहरा मर्म
जीवन भर
चाह के सुलझी
गुत्थी है जो उलझी।
3
जीवन मात्र
मृत्यु की अमानत
उधारी साँसें
लिखा, मिट पाता
फेंको जितने पासे।
4
चलें तो कष्ट
देता यह जीवन
रुकें हों नष्ट
सहने को यातना
होना होगा अभ्यस्त।
5
तम से भरी
जीवन की कोठरी
हो दीप्तिमान
कभी ढूँढ ना पाई
ऐसी दिया सिलाई।
-0-

गुरुवार, 21 फ़रवरी 2013

जीवन- खेल


1-तुहिना रंजन
1.
श्रम की बूँदें  
निसंदेह  कभी तो  
बनेंगी मोती  
मिल जागी सीप  
गहरे पानी पैठ ।
 2.
जीवन- खेल  
समय का पहिया  
सुखद क्षण  
रंग -भरे सपने 
कभी दु:खी हो मन ।
 3.
गुनगुनाते  
सपनो को सजाते 
खिलखिलाते  
रूठते  ' मनाते  
! जी लें  हर पल !
 4.
सूखी माटी  भी  
भीग ओस -अश्रु  से 
बीज सहेजे  
अथक प्रयास से 
करती अंकुरण ।
5.
कर्मठ जोगी-  
परिश्रमी दो हाथ
प्रार्थनारत  
धन्य -धन्य हो रहे  
पा कृपा पुरस्कार 
-0-
2-अनिता ललित
1
अँधेरा छाए,
जो जीवन-पथ पर
घबराना ना !
आस-जोत जलाना
दिल को दीप बना !
2
जीवन -धार
रिश्तों के मंथन में
होती आहत
छलकते नयन
करके विष-पान !
3
जीवन मिला
चुनौतियाँ भी संग
न डरो मनु !
तुम हो सृजक की
एक उत्तम कृति !
4
जीवन -रंग
खिलें सुख-दुख में
हँसो, स्वीकारो !
हर रंग में छुपा
ईश्वर का नूर है !
5
जीवन हो यूँ
ज्यों जले दीप-ज्योति,
करे उजाला
जब तक लें साँसें,
नियति बुझ जाना!
-0-
 3-सुभाष लखेड़ा
  1
दया भाव हो,
सभी के लिए स्नेह
व  हो सद्भाव
किसी को दर्द न दें
ऐसा जीवन जिएँ।
2
जीवन क्या है ?
क्या सिर्फ साँस लेना
कदापि नहीं
जीवन उमंग है
हँसती तरंग है।
-0-

जीवन का गणित


4-डॉ सरस्वती माथुर
1
समय -रथ
अनथक भागता
पाहुना बन
जीवन बसंत में
रगों को भरता है l
2
अब कहाँ है
जीवन निहारता ?
रोशन चाँद
अँधेरी सी रातों में
चाँदनी बरसाता l
-0-
5-मंजु गुप्ता 
1
नदी -स्याही से 
लिखे मन- धरा पे 
भाव -कलम  
जीवन को  जीने की 
रसवन्ती कहानी ।
2
फूल हैं झरे
सुबह से पहले 
सूनी दिशाएँ
राह भटक गई 
थी जीवन  की गाड़ी ।
3
रिश्ते पनपे 
तुमसे मिलकर 
निभा न सके 
किए हैं समझौते 
दिल जला-जला के ।
-0-
6-रेनु चन्द्रा माथुर
1
जीवन भर
दर्द सहते हुए
सीखा है मैने-
प्यार से बड़ा नहीं
होता है कोई रिश्ता ।
2
हमें सिखाता
जीवन का गणित
जोड़ें घटाएँ
गुणा करें या भाग
किस्मत का मिलता।
3
ये जीवन है
सुख- दु:ख का मेला
आना औ जाना
ना दिल को लगाना
मुस्कुराते रहना।
4
जीवन- नैया
तूफानों से घिरके
डगमगाती
साथी मिल जाए तो
फिर सँभल जाती।
-0-


सोमवार, 18 फ़रवरी 2013

जिन्दगी से जुदाई



डॉ हरदीप कौर सन्धु 

तू लाख चाहे 
तुझसे कभी जुदा
मैं हो जाऊँ यूँ 
ये मुमकिन नहीं  
मैं हुई जुदा
तुम  भी शून्य होगे 
झेलोगे कैसे ?
शून्य को जाने बिना
तू भी है शून्य
दस बन न पाओ
दिल का यह
टिमटिमाता दीया
'गर बुझा तो
तुम्हारे अँधेरों को
कहाँ से फिर
मिलेगी ये रौशनी

कठिन रास्ते
अनजाना सफ़र
अकेले तुम
चल नहीं पाओगे
विलाप जैसी 
छूटी बेजान हँसी
तेरी रूह के
जब पोर-पोर से
झेलोगे कैसे
दुखदायी मौसम ?
जिओगे कैसे
बेरंग हुए पल
बिन रंगों के
होंगी रंगीन नहीं

दर्दीली यादें
जर्जर हुआ जिस्म ।
जोड़ न पाए
लौटाने को कर्ज़
लिया मुझसे
तेरी सांसों ने सदा
चाहकर भी
चुका नहीं पाओगे
तू है वजूद
मैं तेरी परछाईं  
बता दो आज
परछाई से तुम
क्या जुदा हो पाओगे ?
-0-


शनिवार, 16 फ़रवरी 2013

स्वागत


कृष्णा वर्मा

स्वागत सदा
ऋतुराज तुम्हारा
चली बयार
दिशा-दिशा जा घूमे
धरा को चूमे
घुला फिज़ा में प्यार
बदल रहा
मौसम का तेवर
ऋतु उत्सुक
करने को शृंगार
घट रहा है
कद शीत ऋतु का
सर्द हवा भी
आ लगी छिटकने
मन्द ख़ुमार
तज नीड़ों का मोह
विहग- वृंद
करें नभ विहार
विविधवर्णी
कुसुम खिल रहे
उन्मत्त ऊर्वी
 हो रही गुलज़ार
जगी  सुगंध
मृदु आम्रकुंज की
कूकी बौराई
मीठी करे पुकार
दुल्हन जैसी
सजी धरती कर
सुमनों से शृंगार ।
-0-



बुधवार, 6 फ़रवरी 2013

तुम्हारी याद


डॉ अनीता कपूर
1.
तुम्हारी याद-
ओस में भीगी मैं
या बादलों का 
पसीना भिगो गया
रही मैं प्यासी
तू बन जा नदिया
हुई मैं रेत
तेरा दिल फिसला
हूँ हवा नहीं
खुशबू हूँ तेरी मैं
न कोई खौफ़
न डर ज़हर का
तू इश्क मेरा
अनारकली हूँ मैं
तू कृष्ण मेरा
तेरी ही राधा हूँ मैं
जन्मों की गाथा हूँ मैं ।
-0-

नदिया चली


कृष्णा वर्मा

नदिया चली
जलधि से मिलने
व्याकुलमना
शिखर -चरण को
त्याग बावरी
गिरी वादी की गोद
अटकलों को
सहर्ष सहारती
प्रेम दीवानी
निज धुन में गाए
बहती जाए
दबे पाँव निर्घोष
कोमलांगिनी
पाहन चीरे नीर
क्षुब्ध न होती
अपितु सहलाके
दे सुमंत्रणा
बनी सद्व्यवहारी
बेखबर- सी
शीत ,धूप ,मेह से
सिक्त नेह से
सिन्धु की ये प्रेयसी
छूटे कगार
सम्बन्धहीन चली
पाने अतल प्यार ।
-0-