सुभाष लखेड़ा
जीवन क्या है
पुराना सवाल है
कई जवाब
देते रहे हैं लोग
फलस्वरूप
पनपे कई मत
मिला न सत
हम वहीं खड़े हैं
लगता यही
इसमें न उलझें
जीवन जिएँ
करें हमेशा हम
परोपकार
यही बड़ा पुण्य है
नहीं दें पीड़ा
वह बड़ा पाप है
महापुरुष
सभी धार्मिक ग्रन्थ
कहते यही
सेवा सच्चा धर्म है
जीवन का मर्म है।
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