डॉ सतीश राज पुष्करणा
1
मौन जिसका
शब्दों में सज जाता
कवि धन्य हो जाता,
जिसको पढ़
हर आम -खास भी
सही दिशा पा जाता ।
2
होती है पूजा
जगती में उसकी
जो कुछ कर जाता ,
बनता वही
शिलालेख युग का
वो अमर हो पाता ।
3
नहीं एक ही
हों सब संचालक
अब इस सत्ता के ,
जनहित में
जो काम करें नित
शासक वही बनें ।
4
काव्य-साधना
करे हर सर्जक
मानवता -हित में,
सारी धरती
हो सदा अनामय
बचे दानवता से ।
5
सुख बरसे
मिल करें वन्दना
हम अन्तर्मन से ,
सब हों सुखी
हर घर रौशन
महके चन्दन से ।
6
जब झूमते
फूल, पल्लव, डाली
हवा साज बजाए
बने पुजारी
तब पेड़ों पे पंछी
मिल प्रभाती गाएँ ।
फूल, पल्लव, डाली
हवा साज बजाए
बने पुजारी
तब पेड़ों पे पंछी
मिल प्रभाती गाएँ ।
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9 टिप्पणियां:
जब झूमते
फूल, पल्लव, डाली
हवा साज बजाए
बने पुजारी
तब पेड़ों पे पंछी
मिल प्रभाती गाएँ ।
सभी सुन्दर सेदोका यह बहुत प्यारा लगा...बधाई।
सतीश राज जी को यहाँ देख ख़ुशी हुई ...
कभी फोन पर बात हुई थी उनसे .....:))
har shbdon me bhav bhare hain
सुख बरसे
मिल करें वन्दना
हम अन्तर्मन से ,
सब हों सुखी
हर घर रौशन
महके चन्दन से ।
kamal hanut hi sunder
rachana
BAhut sudar sedoka . Hava ka saaz bajana man ko bhaa gaya.. Badhaai.
जब झूमते
फूल, पल्लव, डाली
हवा साज बजाए
बने पुजारी
तब पेड़ों पे पंछी
मिल प्रभाती गाएँ ।
सभी सेदोका बहुत सुंदर हैं बधाई,
सादर,
अमिता कौंडल
कल डॉ सतीशराज पुष्करणा जी दिल्ली में थे ।
बहुत सुन्दर भावों से भरे सेदोका ....
5
सुख बरसे
मिल करें वन्दना
हम अन्तर्मन से ,
सब हों सुखी
हर घर रौशन
महके चन्दन से ।...तथा ...
जब झूमते
फूल, पल्लव, डाली
हवा साज बजाए
बने पुजारी
तब पेड़ों पे पंछी
मिल प्रभाती गाएँ ।..बहुत अच्छे लगे ..
सादर ...ज्योत्स्ना शर्मा
Bahut bhavpurn sedoka ...hardik badhai...
भावपूर्ण, बहुत सुन्दर सेदोका हैं...। सतीशराज जी को हार्दिक बधाई...।
प्रियंका
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