देवेन्द्र नारायण
दास
1
दु:ख मिले तो
झेल जा ज़िन्दगी में
थोड़े दिन सह ले,
सुख
आएँगे
चाहे
देर से सही
दु:ख यहाँ अतिथि ।
2
मन
का द्वार
सूरज
की किरणें
टटोलती ही रहीं,
सुख
लेकर
दु:ख
की घटा आई
सीधी
घर में घुसी ।
3
लम्बी डगर
जीवन का सफ़र
तुम चलते रहो,
बहते रहो,
नदिया-सा बहना
बहना ही जीवन ।
4
काँटे बिछे हैं
फूलों के शहर में
अभी जीना है तुझे,
ज़रा देखके
लुटेरों का शहर ,
जीना बड़ा मुश्किल ।
5
तारे ही तारे
बहक गई हवा
मौन खड़े हैं पेड़ ,
साँवली रात
चाँद छुपा नभ में
तारे ढूँढ़ते रहे ।
6
माटी की गन्ध
जिसमें पले हम
जीवन -गीत गाते
जीवन-मर्म
पोथियाँ पढ़ गए
समझ नही पाए ।
7
गाँव की माटी
माटी में जन्मे-खेले
गाँव -माटी चन्दन,
पूछे न कोई
बदल गए लोग
कोई नहीं किसी का ।
8
चारों तरफ़
प्रदूषित हो रहा
धरती का आँचल ।
शुद्ध समीर
तुम पाओगे कहाँ
पेड़ों को मत काटो ।
9
साँसों की मीरा
जीवन भर गाए
सदा गीत पनीले
पोथियाँ पढ़ीं
हम नहीं समझे
जीवन का संगीत ।
10
राह तकते
फूल मुरझा गए
दीप जलता रहा,
तुम न आए
चाँद ढलता रहा
झींगुर गाते रहे ।
11
कूड़े के ढेर
काँधे पे बोरे डाले
बच्चे ढूँढ़ते रोटी ,
बचपन यूँ
घूरे में गुज़रता
जीवन यूँ चलता ।
12
आम जनता
चाहे चूसो जितना
कुछ नहीं कहती
अच्छी बात है
इनमें गुठलियाँ
बिल्कुल नहीं होती ।
-0-
6 टिप्पणियां:
सभी सेदोका बहुत अच्छे लगे, पर ये दो तो बहुत भाए...।
दु:ख मिले तो
झेल जा ज़िन्दगी में
थोड़े दिन सह ले,
सुख आएँगे
चाहे देर से सही
दु:ख यहाँ अतिथि ।
आम जनता
चाहे चूसो जितना
कुछ नहीं कहती
अच्छी बात है
इनमें गुठलियाँ
बिल्कुल नहीं होती ।
बहुत बधाई...।
प्रियंका
वाकई ...हर सेदोका अपने आप में पूर्ण ...बहुत खूब
विविध भावों से परिपूर्ण बहुत सुन्दर सेदोका ....बहुत बधाई !!
अति सुंदर सेदोका। छठे और नौवें कातो जवाब नहीं! बधाई देवेन्द्र नारायण दास जी !
Gahan abhivyakti
सभी सेदोका बहुत सुन्दर भावपूर्ण हैं बहुत बधाई।
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